उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद ( Uttar Pradesh Electricity Consumer Council )की बिजली दरें कम करने की याचिका पर उ.प्र. पावर कारपोरेशन ने नियामक आयोग में अपना जवाब दाखिल कर दिया है. जिसमें लिखा है कि परिषद द्वारा बिजली कंपनियों पर निकल रहे उपभोक्ताओं के जिस 20596 करोड़ रुपये का जिक्र किया है, उसका डिटेल ब्रेकअप नहीं दिया है. कारपोरेशन के इस आपत्ति पर परिषद की तरफ से भी मौजूदा समय में निकल रहे 22045 करोड़ रुपये का डिटेल ब्रेकअप नियामक आयोग में दाखिल कर दिया है. माना जा रहा है अगर परिषद के प्रस्ताव को नियामक आयोग में लेता है तो प्रति माह 7 प्रतिशत 5 वर्षो तक बिजली का बिल कम हो जाएगा.
उपभोक्ता परिषद ने उपभोक्ता की हित देखते हुए चेयरमैन नियामक आयोग आरपी सिंह से मांग की है कि बकाया धनराशि के एवज में उपभोक्ताओं की बिजली दरों में पांच साल तक सात फीसदी कमी की जाए अथवा एक वित्तीय वर्ष में बिजली दरें 35 फीसदी कम की जाएं. आयोग में दाखिल आपत्ति में परिषद की तरफ से कहा गया है कि पावर कारपोरेशन का यह कहना कि मामला अपीलेट ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है, भ्रम में डालने वाली बात है। किसी भी न्यायालय में केवल मुकदमा दाखिल करने से प्रक्रिया पर रोक नहीं लगती जब तक कि उस पर स्टे आर्डर न जारी किया गया हो.
उपभोगता परिषद ने बताया है कि वर्ष 2019-20 के टैरिफ आदेश में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का वर्ष 2017-18 तक उदय व ट्रू-अप में 13337 करोड़ रुपये निकल रहा है। वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक इस पर 12 प्रतिशत कैरिंग कास्ट निकाल ली जाए तो वह करीब 7259 करोड़ रुपये होगा. इसको जोड़ने पर 20986 करोड़ रुपये होता है। इस गणना में वर्ष 2021-22 के टैरिफ आदेश के साथ ट्रू-अप का वर्ष 2019-20 में उपभोक्ताओं का लगभग 672 करोड़ रुपये निकला था और 2021-22 के टैरिफ आदेश में लगभग 387 करोड़ कुल मिलाकर यह गणना करीब 1059 करोड़ रुपये होती है. 20986 करोड़ में इसे जोड़ देने पर कुल योग 22045 करोड़ रुपये बन रहा है जो कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का निकल रहा है। अगर इसे उपभोगताओं को वापस कर दिया जाए तो उपभोगताओं को बड़ा लाभ मिल सकता है हाला की अभी इस पर सुनवाई कुछ दिन और चलने वाली है.
Source : News Nation Bureau