अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में डॉक्टर जनसंख्या अनुपात सुधारने एवं पूर्व स्थापित व उदीयमान मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में अहम भूमिका निभायेगा. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि सम्पूर्ण प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रमों व परीक्षाओं में एकरूपता लाने एवं उक्त मेडिकल कॉलेजों को केन्द्रीकत शैक्षणिक मागदर्शन तथा संचालित पाठ्यकमों को सम्बद्धता प्रदान किये जाने के लिए 'अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय उ.प्र. अधिनियम 2018 बनाया गया है. उन्होंने बताया कि उक्त चिकित्सा विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने के उपरान्त प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा का समुचित विकास हो सकेगा तथा चिकित्सा जगत में उच्च स्तरीय उपचार एवं अनुसंधान हेतु एक सक्रिय एवं सकारात्मक वातावरण का निर्माण किया जा सकेगा.
साथ ही सभी मेडिकल कॉलेज, डेन्टल कॉलेज एवं पैरामेडिकल व नर्सिंग के डिग्री पाठ्यक्रमों को एक ही विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किये जाने के उपरान्त प्रदेश के सभी सरकारी, अर्द्धसरकारी व निजी कॉलेजों में समान शैक्षणिक कलैण्डर लागू किए जा सकेंगे तथा संचालित पाठ्यक्रमों की परीक्षाए निर्धारित समयावधि में पारदर्शी तरीके से करायी जा सकेंगी. प्रवक्ता ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ से सरकारी , अर्द्धसरकारी व निजी क्षेत्र के 40 मेडिकल, 17 डेण्टल कॉलेज तथा 299 नर्सिंग व पैरामेडिकल कॉलेजों को सम्बद्धता प्रदान की जायेगी तथा 6210 मेडिकल छात्रों , 2016 डेण्टल छात्रों तथा 12544 नर्सिंग व पैरामेडिकल छात्रों को प्रतिवर्ष दाखिला दिया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय पुष्प ' कमल' की आकृति में विकसित किये जा रहे चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन का आकार श्रद्धेय अटल जी के बहुआयामी व्यक्तित्व को स्वतः परिलक्षित करता है.
प्रवक्ता ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सुल्तानपुर रोड पर स्थित चक गंजरिया सिटी परियोजना में लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा 50 एकड़ भूमि आवंटित की गई है. उन्होंने बताया कि परियोजना के प्रथम चरण में प्रशासनिक भवन, प्रेक्षागृह, पुस्तकालय, संग्रहालय, अतिथि गृह, आवास आदि तथा अन्य आनुषंगिक निर्माण प्रस्तावित है. परियोजना में 65 प्रतिशत ऊर्जा की बचत सौर ऊर्जा के प्रयोग द्वारा की जायेगी. इसी के साथ हरित निर्माण पद्धति व स्थानीय सामग्री का उपयोग करके भवन को सुदृढ़ बनाया जायेगा. प्रवक्ता के अनुसार प्राचीन शास्त्रों में वर्णित मानवजीवन हेतु उपयोगी कदम्ब, पारिजात, अशोक, नीम, मौलश्री, पीपल, अर्जुन, पलाश तथा फलदार वृक्षों आम, जामुन, अमरूद, केला आदि को भी लगाया जायेगा. उन्होंने बताया कि परियोजना क्षेत्र के चतुर्दिक 12 मीटर चौड़े मार्ग का निर्माण किया जायेगा जिसके किनारे पौधारोपण करके ग्रीनबेल्ट क्षेत्र विकसित किया जायेगा. जिससे वायु एवं ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम हो सके. चिकित्सा विश्वविद्यालय परिसर के चतुर्दिक साईकिल ट्रैक व पैदल चलने के लिए ट्रैक निर्मित किया जायेगा.
Source : Bhasha