भगवान तिरुपति के प्रसाद में चर्बी मिलाने का मामला सुर्खियों में हैं. राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने मामले में प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जांच में सामने आया है कि प्रसाद में बीफ और मछली का तेल मिलाया गया है. यह कब से हो रहा है, यह अब तक पता नहीं चल पाया है. यह साजिश है. उन्होंने कहा कि यह सनातन धर्म पर हमला है. उन्होंने मांग की है कि सरकार गंभीरता से मामले की जांच करें.
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जांच रिपोर्ट में क्या पता चला
लैब की रिपोर्ट में सामने आया है कि प्रसाद में इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिला है. प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के इस्तेमाल वाले मामले में टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकट रमन रेड्डी ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि घी तैयार करने के लिए जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है. लैब जांच में भी इसकी पुष्टि हो गई है. हिंदू धर्म का अपमान किया गया है. ईश्वर को दिन में तीन बार प्रसाद चढ़ाया जाता था. उम्मीद है कि जल्द इस मामले में न्याय होगा. भगवान हमें माफ करेंगे.
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पहले भी विवादों में रहा है मंदिर का प्रसाद
तिरुपति बालाजी मंदिर में बंटने वाला प्रसाद पहली बार विवादों में नहीं आया है. मंदिर के प्रसाद की गुणवत्ता पर चालीस साल से सवाल उठ रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लड्डू की गुणवत्ता पर 1985 में एक रिपोर्ट छपी थी.
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खबर के अनुसार, लड्डू पर हुए विवाद के बाद फैसला लिया गया था कि अब इन्हें केंद्रीय तकनीक अनुसंधान संस्थान की देखरेख में बनाया जाएगा. हालांकि, 1979 से संस्थान लड्डुओं के निर्माण में मंदिर बोर्ड की मदद करता था, पर 1985 से संस्थान को लड्डुओं के चेकिंग की भी अनुमति मिल गई.
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