सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद अयोध्या (Ayodhya) में भव्य राममंदिर (Ram Mandir) के निर्माण से जुड़े कामों में तेजी आ चुकी है. पिछले ढाई दशक से अयोध्या स्थित कार्यशाला में हजारों पत्थर तराशे जा चुके हैं. अभी कई और पत्थरों का तराशा जाना बाकी है. कार्यशाला में जिन पत्थरों को तराशा गया है वह कई सालों से खुले आसमान के नीचे पड़े रहने से उनमें धूप, धूल और बारिश की वजह से काई जम गई है. इनका रंग काला पड़ गया है. अयोध्या में राममंदिर का शिलान्यास की तारीख का एलान कभी भी हो सकता है. इससे पहले इन तराशे गए पत्थरों को अब साफ करके चमकाने का काम भी शुरू हो गया है.
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बदरंग हुए शिलाओं को साफ करने का काम दिल्ली की कंपनी केएलए को दिया गया है. यह कंपनी अपने क्लीन एंड क्योर केमिकल के जरिए इन पत्थरों को साफ कर रही है. केएलए कंपनी हेरिटेज बिल्डिंग की रिपेयर एंड रिहैबिलिटेशन में एक्सपर्ट हैं. पिछले चार दिनों से एलगी रिमूवर, स्टेन रिमूवर और रस्ट रिमूवर नाम के केमिकल से इन पत्थरों को साफ किया जा रहा है. केमिकल का लेप पत्थरों पर लगाया जाता है और फिर पानी की तेज बौछार से इन पत्थरों को साफ कर एक नया और भव्य रूप दिया जाता है.
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268 फिट चौड़े और 140 फिट लंबे भव्य राममंदिर में 212 स्तम्भ का प्रयोग होगा, 106 स्तम्भ नीचे तल पर और 106 स्तम्भ ऊपरी तल पर हैं. स्तम्भ की ऊंचाई 16.6 फीट है, सभी स्तम्भ पर शानदार कलाकृतियों को भी उकेरा गया है. जिससे सनातनी परंपरा की भी झलक श्रद्धालुओं को मिल सके. देवी, देवताओं के भित्ति चित्र के साथ ही हाथी, घोड़ा और मोर जैसे दूसरे पक्षियों के चित्र भी उकेरे गए हैं. कार्यशाला में ही हज़ारों की तादाद में ईंटें भी रखी हैं, जिनका प्रयोग राममंदिर के नींव में होना है. इन ईंटों के साथ एक बड़ा इतिहास भी जुड़ा हुआ है.
90 के दशक में जब राममंदिर आंदोलन की शुरुआत हुई थी तब वीएचपी ने देश के कोने से और गांव गांव से लोगों से एक एक ईंट दान में देने की अपील की थी. जिसके बाद सभी प्रदेशों से ही नहीं दुनिया भर से रामभक्तों ने अयोध्या ईंट भेजी थी. साधारण ईंट के साथ ही यहां संगमरमर और दूसरे पत्थरों की भी ईंट मौजूद है, यूनाइटेड किंगडम औऱ हॉलैंड से भेजी गई ईंट भी यहां देखी जा सकती है.
Source : News Nation Bureau