अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस (Ayodhya demolition case)मामले में में 30 सितंबर तक फैसला आएगा. सीबीआई, विशेष अदालत अयोध्या प्रकरण के जज सुरेंद्र यादव 30 सितंबर को सुनाएंगे फैसला. बता दें कि विववादित ढांचा विध्वंस मामले में आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती आदि के खिलाफ मुकदमा चल रहा है. जस्टिस रोहिंटन नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ट्रायल कोर्ट के जज सुरेंद्र यादव की रिपोर्ट देखने के बाद फैसला देने की समयसीमा को 30 सितंबर तक बढ़ा दिया था.
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कोर्ट ने पहले 31 अगस्त तक का वक्त दिया था. अप्रैल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस को देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को हिला देने वाला अपराध करार देते हुआ आडवाणी समेत तमाम नेता और कारसेवकों पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था. तब ट्रायल पूरा करने के लिए दो साल का वक्त दिया गया था.
बचाव पक्ष की ओर से लिखित दलील दाखिल होने के बाद विशेष सीबीआई अदालत इस मामले पर अपना निर्णय सुनाएगी. छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस के इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और बीजेपी के तमाम नेताओं समेत 32 अभियुक्त है.
बता दें कि अयोध्या में 6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों ने मस्जिद ढहा दी थी. उनका दावा था कि मस्जिद की जगह पर राम का प्राचीन मंदिर हुआ करता था. राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोगों में लालकृष्ण आडवाणी और जोशी भी शामिल थे. बीजेपी नेता उमा भारती और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह इस मामले में अपने बयान दर्ज करा चुके हैं. विशेष अदालत मामले की रोजाना सुनवाई कर रही है. इस मामले में सीबीआई ने जांच के बाद 49 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. इनमें से 17 की मौत हो चुकी है.