अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद इस फैसले से खिलाफ अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला लिया है. मुस्लिम संगठनों के इस फैसले को आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने 'दोहरा मानदंड' करार दिया. उन्होंने कहा कि पहले यही संगठन सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने की बात करते थे. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना चुका है तो मुस्लिम संगठन पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लियों को आगे बढ़ना चाहिए और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए.
यह भी पढ़ेंः खुशखबरीः अयोध्या में शुरू हुई राम रसोई, हजारों श्रद्धालुओं को मिलेगा फ्री भोजन
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता समिति के सदस्य रहे आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि यह मामला काफी पहले सुलझा लिया गया होता, अगर एक पक्ष विवादित जगह पर मस्जिद बनाने पर न अड़ा रहता. हाल ही में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि देश के 99 फीसदी मुसलमान चाहते हैं कि इस निर्णय पर पुनर्विचार की याचिका दाखिल की जाए.
यह भी पढ़ेंः AIMPLB ने अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका डाल खराब किया देश का माहौल : वसीम रिजवी
हिंदुओं और मुस्लिमों को देश की अर्थव्यवस्था में देना चाहिए योगदान
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि हिंदुओं और मुस्लिमों को अब आगे बढ़ना चाहिए और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब इस विवाद को खत्म कर आगे की सोचना चाहिए जिससे देश और समाज का फायदा हो.
यह भी पढ़ेंः मकर संक्रांति से सोने के भव्य मंदिर में रहेंगे रामलला, चेन्नई के कास्ट कलाकार करेंगे तैयार
मस्जिद की जिद से नहीं सुलझ कसा
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि यह विवाद काफी साल पहले ही खत्म हो जाता अगर मुस्लिम पक्ष अयोध्या में मस्जिद मांग पर नहीं अड़े रहते. 2003 में ही मैंने कहा था कि इस विवाद को दोनों पक्ष मिलकर हल निकाल सकते हैं. एक तरफ मंदिर बने और एक तरफ मस्जिद. लेकिन मुस्लिम पक्ष की जिद थी कि उसी जगह मस्जिद बनानी है. इससे विवाद का अंत नहीं हो सका.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो