प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के लिए पहली ईंट रख आधुनिक भारत के लिए एक नये युग का सूत्रपात किया. वैदिक रीति-रिवाजों के साथ अनुष्ठान के बीच भूमि पूजन (Bhoomi Pujan) कर पीएम मोदी ने एक संदेश भी दिया. इसमें उन्होंने प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत का एक खाका खींचा. खास बात यह रही है कि इस खाके के केंद्र में भगवान श्रीराम ही केंद्र में दिखे.
रामकाज किन्हें बनु मोहे कहां विश्रामः वर्षों से टाट और टेंट के नीचे रहे हमारे रामलला के लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा. टूटना और फिर से खड़ा हो जाना सदियों से इस गति क्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हुई है. गुलामी के शासन में कोई ऐसा समय नहीं था, जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो. कोई भू-भाग नहीं था जहां बलिदान नहीं हुआ. ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक, कई-कई पीढ़ियों ने अखंड अविरल प्रयास किया. उन सभी को कोटि-कोटि नमन.
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राम मंदिर राष्ट्रीय भावना का प्रतीकः यहां आने से पहले मैंने हनुमानगढ़ी का दर्शन किया. राम के सब काम हनुमान ही करते हैं. राम के आदर्शों की कलियुग में रक्षा की जिम्मेदारी हनुमान की है. उन्हीं के आशीर्वाद से राम मंदिर का भूमि पूजन हुआ. राम मंदिर आधुनिक समय का प्रतीक बनेगा. हमारी शाश्वस्त आस्था का प्रतीक बनेगा. हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा. ये मंदिर करोड़ों लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का भी प्रतीक बनेगा. ये मंदिर आने वाली पीढ़ियों को आस्था, श्रद्धा और संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा. इस मंदिर के बनने के बाद अयोध्या की भव्यता ही नहीं बढ़ेगी बल्कि इस क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र बदल जाएगा. हर क्षेत्र में अवसर बढ़ेंगे.
मंदिर राष्ट्र को जोड़ने का महोत्सवः राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया राष्ट्र को जोड़ने का महोत्सव है. यह नर को नारायण से जोड़ने का उपक्रम है. आज का यह ऐतिहासिक पल युगों-युगों तक भारत की कीर्ति पताका फहराते रहेंगे. आज का यह दिन करोड़ों रामभक्तों के संकल्प की सत्यतता का प्रमाण है. यह न्यायप्रिय भारत की एक अनुपम भेंट है.
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देश ने दिखाई श्रीराम जैसी मर्यादाः कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का ये कार्यक्रम अनेक मर्यादाओं के बीच हो रहा है. श्रीराम के काम में जैसी मर्यादा पेश की जानी चाहिए देश ने वैसा ही उदाहरण पेश किया है. इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया, जब सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. उस समय भी देशवासियों ने शांति के साथ सभी की भावनाओं का ख्याल करते हुए व्यवहार किया था. आज भी हम हर तरफ हम वही मर्यादा देख रहे हैं.
इतिहास खुद को दोहरा भी रहाः मंदिर के निर्माण से सिर्फ नया इतिहास ही नहीं रचा जा रहा है बल्कि इतिहास भी खुद को दोहरा रहा है. आज देशभर के लोगों के सहयोग से राम मंदिर निर्माण का यह पुण्य कार्य शुरू हुआ है. जैसे पत्थरों पर श्रीराम लिखकर राम सेतु बनाया गया था. वैसे ही घर-घर, गांव-गांव से श्रद्धापूर्क पूजी गई शिलाएं यहां ऊर्जा का स्रोत बन गई है. देशभर के धामों, मंदिरों से लाई गई मिट्टी, नदियों का जल वहां के लोगों की भवानाएं यहां की अमोघ शक्ति बन गई है. वाकई ये न भूतो, न भविष्यति. भारत की आस्था, भारत के लोगों की सामूहिकता और इसकी अमोघ शक्ति पूरी दुनिया के लिए अध्ययन का विषय है.
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श्रीराम भारत के प्रकाश स्तंभः श्रीराम को तेज में सूर्य के सामान, क्षमा में पृथ्वी के तुल्य बुद्धि में बृहस्तपति के तुल्य और यश में इंद्र के समान माना गया है. वह सत्य पर अडिग रहने वाले थे. श्रीराम संपूर्ण हैं. वह हजारों वर्षों से भारत के लिए प्रकाश स्तंभ बने हुए हैं. श्रीराम ने सामाजिक समरसता को शासन को आधारशिला बनाया. उन्होंने प्रजा से विश्वास प्राप्त किया.
हर पहलू से प्रेरणा देते हैं रामः जीवन का कोई ऐसा पहलू नहीं है जहां हमारे राम प्रेरणा नहीं देते हों. भारत की आस्था में राम, आदर्शों में राम, दिव्यता में राम, दर्शन में राम हैं. जो राम मध्य युग में तुलसी, कबीर और नानक के जरिए भारत को बल दे रहे थे. वही राम बापू के समय में अहिंसा के रूप में थे. भगवान बुद्ध भी राम से जुड़े हैं. सदियों से अयोध्या नगरी जैन धर्म की आस्था का केंद्र रहा है.
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शरणगात की रक्षा करना धर्मः जो शरण में आए उसकी रक्षा करना धर्म है. असली मातृभूमि फर्ज से बढ़कर होती है. यह भी श्रीराम की नीति है भय के बिना प्रीत नहीं हो सकती. राम की यही नीति. राम की यही रीति. सदियों से भारत का मार्ग दर्शन करती रही. महात्मा गांधी ने राम राज का सपना देखा. देश काल अवसर और परिस्थिति के अनुसार बोलते हैं. राम के हमें समय के साथ बढ़ना-चलना सिखाते हैं. राम परिवर्तन और आधुनिकता के पक्ष में हैं.
श्रीराम से मिली कर्तव्य पालन की सीखः श्रीराम के प्रेरणाओं, आदर्शों के साथ भारत आगे बढ़ रहा है. श्रीराम ने कर्तव्य पालन की सीख दी. विरोध से निकल बोल और शोध का मार्ग दिखाया. आपसी प्रेम भाईचारे का रास्ता दिखाया, हम सबके साथ सबके विश्वास से सबका विकास करना है. परिश्रम और शक्ति से आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है. अब देरी नहीं करनी है अब हमें आगे बढ़ना है. आज भारत के लिए भी भगवान राम का यही संदेश है. विश्वास है हम सब आगे बढ़ेंगे, देश आगे बढ़ेगा.
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श्रीराम मंदिर मानवता का प्रेरक बनेगाः श्रीराम का मंदिर युगों-युगों तक मानवता को प्ररेणा देता रहेगा. मार्गदर्शन करता रहेगा. कोरोना की वजह से जैसे हालात है, वैसे में प्रभु राम की मर्यादा की और जरूरत है. दो गज की दूरी सभी के लिए जरूरी. राम-जानकी सभी को स्वस्थ सुखी रखे यही प्रार्थना है. इन्हीं शुभकामनाओं के साथ कोटि-कोटि बधाईयां.