राम मंदिर का बदला हुआ स्ट्रक्चर कुछ इस प्रकार से होगा. नए प्लान के मुताबिक मंदिर में एक सबसे ऊंचा शिखर होगा, जो गर्भ ग्रह के ऊपर बना होगा. जिसकी ऊंचाई पहले 141 फीट थी. मंदिर के नए डिजाइन को बैलेंस करने के लिए अब उसे बड़ा करके 161 फीट कर दिया गया है. मंदिर की लम्बाई 310 फीट से बढ़ कर अब 360 फीट होगी. चौड़ाई 160 फ़ीट से बढ़ कर 235 फ़ीट होगी. इनकी संरचना कुछ इस प्रकार होगी. मंदिर का जो पुराना स्ट्रक्चर आपने देखा होगा उसमें मुख्य शिखर के आगे दो मंडप बने हुए दिखाई देते हैं. अब इसके आगे एक और मंडप बनेगा. इसके अलावा शिखर के आगे सबसे पहले बने गूढ़ मंडप के अगल-बगल में दो और मंडप बनाए जाएंगे. इस प्रकार से कुल मिलाकर 5 मंडप और एक मुख्य शिखर होगा. इसके अलावा मंदिर की नक्काशी में कोई खास बदलाव नहीं होगा.
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30 सालों से लोगों के संघर्ष की भावनाएं जुड़ी हुई है
क्योंकि पहले से जो पत्थर तराशे गए हैं ऐसा बताया जा रहा है कि उसमें 30 सालों से लोगों के संघर्ष की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. इसलिए उन सभी पत्थरों का पूरी तरह मंदिर के निर्माण के उपयोग में लाए जाने का निर्णय किया गया है. नागर शैली में ही पूरा मंदिर बनेगा. मंदिर के इस आकार को बढ़ाने से पहले बहुत सारे फैक्टर्स का विश्लेषण किया गया. क्योंकि 30 साल पहले जब यह मंदिर प्लान किया गया था तब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि इस मंदिर में सालाना 5 लाख लोग विजिट करेंगे. लेकिन बदले हुए हालात और आज की परिस्थिति को देखते हुए यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि यह संख्या कई गुना बढ़ जाए. इसलिए मंदिर के आकार को और विशाल रूप दिया जाये इसके लिए देश के सबसे ज्यादा विजिट किए जाने वाले कई टेंपल की महीनों तक स्टडी की गई है.
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पीएम मोदी 5 अगस्त को भूमि पूजन में शामिल हो सकते हैं
वहीं राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में राम मंदिर निर्माण की तारीख पर मुहर लग गई है. पीएम मोदी 5 अगस्त को भूमि पूजन में शामिल हो सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भूमि पूजन पूरे वैदिक विधि विधान से करेंगे. जन्मभूमि पर भूमि पूजन के लिए अनुष्ठान सुबह 8 बजे ही शुरू हो जाएगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 बजे से शुरू होने वाले भूमि पूजन और वास्तु स्थापना के यज्ञ को ही संपन्न करेंगे. भूमि पूजन और वास्तु स्थापना का कार्यक्रम तकरीबन 3 घंटे में संपन्न होगा. भूमि पूजन कराने के लिए बनारस से विशेष ब्राह्मणों के दल को आमंत्रित किया गया है. भूमि पूजन कराने वाले तीनों ब्राह्मणों का चयन श्री काशी विद्वत परिषद से किया गया है. गौरतलब है कि भूमि पूजन के लिए 5 अगस्त का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि सर्वार्थ सिद्धि योग है जो सभी योगों में श्रेष्ठ माना जाता है. शास्त्रीय विधान के मुताबिक सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू किए गए काम में कोई बाधा नहीं आती है.