अयोध्या में रामनवमी को जिस समय भगवान श्रीराम का जन्म हुआ उस समय खुद भगवान सूर्य रामलला का अभिषेक करेंगे. इसके लिए आर्किटेक्ट इस तरह की व्यवस्था कर रहे हैं. जिससे उस समय सूर्य की किरण सीधे भगवान रामलला के मुखारबिंदु यानि मस्तक को प्रकाशित करें. इसीलिए इस काम में आर्किटेक्ट के साथ-साथ अंतरिक्ष वैज्ञानिक भी सहयोग कर रहे हैं. इसी के साथ राम जन्मभूमि परिसर के कुल 20 एकड़ भूमि में ही मंदिर निर्माण कार्य होगा. जबकि शेष 50 एकड़ भूमि में हरियाली ही होगी, इसमें बाल्मीकि रामायण में जिन रामायण कालीन वृक्षों का जिक्र है उससे जुड़े वृक्ष लगाए जाएंगे और उस समय के कितने वृक्षों को राम जन्मभूमि परिसर में उगाया जा सकता है. इस पर भी रिसर्च चल रहा है यानि श्री राम जन्मभूमि परिसर में ऐसा अलौकिक दृश्य और वातावरण होगा जो आध्यात्मिकता से भरपूर और वास्तविकता का अहसास कराएगा ।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि रामनवमी के दिन भगवान राम का जन्म दोपहर 12:00 बजे बताया जाता है तो प्रत्येक रामनवमी को दोपहर 12:00 बजे सूर्य देवता सूर्य भगवान की कृपा में मंदिर के गर्भ गृह में भगवान के मुखारविन्दु को मस्तक को प्रकाशित करें. इस पर भारत में अंतरिक्ष विज्ञानिक काम कर रहे हैं । 70 एकड़ भूमि के अंदर लगभग लगभग 70% हिस्सा अर्थात 50 एकड़ तक हिस्सा हरियाली होगी वहां कितने वृक्ष हैं कितने फैमिली के कितने प्रकार के वृक्ष हैं कौन-कौन से वृक्ष और लगाए जा सकते हैं वाल्मीकि रामायण में किन कन वृक्षों का वर्णन है जो अपने यहां उगाया जा सकता है उसकी नर्सरी कहां बनाई जा सकती है उसका प्रयोग करना इसका नाम है लैंड स्कीपिंग इस पर यहां आज चर्चा हुई ।
Source : Avinash Singh