अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे ब्रह्मलीन महंत नरेंद्र गिरी (Mahant Narendra Giri) के उत्तरधिकारी पर फैसला हो गया है. शिष्य बलवीर गिरि (Balveer Giri) को महंत नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी बनाया जाएगा. यह फैसला अखाड़ा परिषद के पंच परमेश्वरों ने वसीयत के आधार पर लिया है. फैसला हुआ है कि महंत बलवीर गिरि को श्री मठ बाघंबरी की गद्दी पर बैठाया जाएगा. 5 अक्टूबर को होने वाले नरेंद्र गिरी के षोडशी संस्कार के मौके पर बाघंबरी मठ की कमान बलवीर गिरि को सौंपी जाएगी. वसीयत के आधार पर ही मठ का उत्तराधिकारी चुना जाता है.
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महंत नरेन्द्र गिरि की संदिग्द परिस्थिति में मौत हो गई थी. उनके कमरे से एक सुसाइड नोट मिला था. इसमें बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी घोषित किया था. हालांकि बाद में इस सुसाइड नोट की विश्वसनीयता पर सवाल उठे. मठ पंच परमेश्वरों ने सुसाइड नोट को फर्जी बताया और बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाने से इनकार कर दिया था. हालांकि नरेन्द्र गिरि की अब वसीयत सामने आई है. इसमें जून 2020 में बलवीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी बनाया है. गौरतलब है कि वसीयत के आधार पर ही मठ का उत्तराधिकारी चुना जाता है. 2004 में महंत नरेंद्र गिरि भी वसीयत के आधार पर ही मठाधीश बने थे.
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वहीं दूसरी तरफ महंत नरेन्द्र गिरि केस की जांच कर रही सीबीआई (CBI) को अभी इस केस में कोई अहम सुराग हाथ नहीं लगा है. सीबीआई इस केस के हर पहलू पर जांच कर रही है. सीबीआई इस केस को सुलझाने के लिए नरेन्द्र गिरि की साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी (psychological autopsy) करा सकती है. इससे पहले सुशांत सिंह राजपूत मामले में सीबीआई ने साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी कराई थी. साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी के जरिए ये जानने की कोशिश होगी कि उनका व्यवहार लोगों के साथ कैसा था. उनके दिमाग में क्या चल रहा था.
HIGHLIGHTS
- महंत नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध परिस्थिति में हुई थी मौत
- मौत से पहले नरेन्द्र गिरि ने बनवाई थी तीन वसीयत
- 5 अक्टूबर को सौंपी जा सकती है मठ की कमान
Source : Kuldeep Singh