84 के उम्र में डिलीट की उपाधि, बीएचयू में रचा इतिहास, जवानी में सेना में किया था कमाल 

कहते हैं कि पढ़ने और सीखने के लिए कोई उम्र नहीं होती। इस उदाहरण को चरितार्थ किया है बनारस में रहने वाले 84 वर्षीय बुजुर्ग डॉक्टर अमलधारी सिंह जिन्होंने 84 की उम्र में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से संस्कृत से डिलीट की उपाधि प्राप्त की है

author-image
Mohit Sharma
New Update
Banaras Hindu University

Banaras Hindu University( Photo Credit : FILE PIC)

Advertisment

कहते हैं कि पढ़ने और सीखने के लिए कोई उम्र नहीं होती। इस उदाहरण को चरितार्थ किया है बनारस में रहने वाले 84 वर्षीय बुजुर्ग डॉक्टर अमलधारी सिंह जिन्होंने 84 की उम्र में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से संस्कृत से डिलीट की उपाधि प्राप्त की है । बड़ी बात यह है उन्होंने इस उम्र में ऋग्वेद पर रिसर्च करते हुए उस पर एक किताब भी लिख डाली है ।अमलधारी सिंह कोई साधारण बुजुर्ग व्यक्ति नहीं है बल्कि अपने जीवन में इन्होंने कई उपलब्धियां प्राप्त की हुई हैं ।इनमें से एक भारतीय सेना में उनका 4 साल का कार्यकाल भी शामिल है ।कौन है अमलधारी सिंह ?इस उम्र में भी क्यों उन्होंने प्राप्त की डिलीट की उपाधि देखिए इस रिपोर्ट को -

डॉक्टर सिंह की उपाधि दिखाने से पहले हम आपको सबसे पहले उनके बारे में बताते हैं. अमल धारी सिंह का जन्म  22 जुलाई 1938 में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए कंप्लीट किया और बीएचयू से 1962 में m.a. करते हुए 1966 में ही बीएचयू से पीएचडी कर ली. लेकिन इस बीच में उन्होंने 1963 से 1967 तक बकायदा भारतीय सेना में भी वारंट ऑफिसर के पोस्ट पर तैनात हैं जोकि सैनिकों को ट्रेनिंग दिया करते थे जिसके लिए उन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरु  ने सम्मानित भी किया था । डॉक्टर सिंह सेना से रिटायर्ड होने के बाद बतौर लेक्चरर रायबरेली,जोधपुर विश्वविद्यालय और  बीएचयू में अतिथि लेक्चरर के रूप में भी कार्य कर चुके हैं । रिटायर होने के बाद डॉक्टर सिंह 2004 से लेकर 8 तक उज्जैन में राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान में ओएसडी के रूप में काम डॉक्टर सिंह अपने व्यस्त जीवन काल में यहीं नहीं रुके 2021 में उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग से दिलीप के लिए रजिस्ट्रेशन किया और 2022 में उसे पूर्ण करते हुए उसकी उपाधि भी प्राप्त कर ली डॉक्टर सिंह बताते हैं कि वेद की प्रचार के लिए वह अपनी शिक्षा जारी रखे हुए हैं जिसकी कोई उम्र नहीं होती है

84 की उम्र में भी जिस तरह से अमलधारी सिंह सक्रिय है उससे उनके परिवार के लोग खासा प्रभावित है.परिवार का कहना है कि पिताजी सेना से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में काफी योगदान दिए अब इस उम्र में जिस तरह वह ज्ञान अर्जित कर रहे हैं उससे उत्साहवर्धन होता है. बरहाल जिस तरीके से अमल धारी सिंह ने समाज के बंधनो को छोड़कर शिक्षा जगत में यह उपलब्धि हासिल की है,वह वाकई में प्रेरणादाई है. उन्होंने अपनी उम्र के पड़ाव को भूल कर शिक्षा की मोती को प्राप्त किया है जो युवाओं के लिए प्रेरणा की एक नई कहानी है,जिससे सभी लोगों को सीख ले कर अपने सपने को पूरा करना चाहिए. 

Source : News Nation Bureau

Banaras Hindu University
Advertisment
Advertisment
Advertisment