बनारस में बंदरो का आतंक है आलम ये है की रोज लगभग चार से पांच लोगो को बंदरो के काटने के केस सामने आ रहे हैं. नगर निगम ने बंदरो को पकड़ने के लिएं मथुरा के एक टीम को टेंडर भी दिया है. लेकिन मुश्किल ये है की वन विभाग ने अभी बंदरो को पकड़ने पर पाबंदी लगा दिया है. वाराणसी में इस समय पांच हजार से अधिक बंदर है जो लोगो के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. वाराणसी में बंदरो का आतंक कुछ इस तरह से है की लोगों ने अपने घर को बंकर की तरह कवर कर लिया है.
वाराणसी के कबीरनगर में रहने वाले रूपेश कुमार बताते हैं की हमनें अपने घर के चारों तरफ लोहे के जाल लगा रखे हैं. इसके बावजूद भी जैसे ही लोग बहार आते हैं किसी न किसी बंदर का शिकार हो जाते हैं. इसके पीछे दूसरा तर्क यह भी है कि लगातार बढ़ती आबादी के कारण बंदरों के रहने का जगह नहीं रह गया है और साथ ही उन्हें भोजन भी नहीं मिल पाता. इसलिए वह आम जनता को परेशान करते हैं. क्षेत्रीय लोग बुलाते हैं कि रोज किसी न किसी बंदरों के द्वारा लोगों के काटने का मामला सामने आता है. बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं तो वही हम लोग बाहर आने से भी डरते हैं. नगर निगम बंदर पकड़ने की सिर्फ कार्रवाई दिखावे भर करता है. इसके बाद वह कभी नहीं आते और ऐसे में हम डर और दहशत में जीवन बिताने को मजबूर हैं।
दूसरी तरफ पशु चिकित्सा कल्याण अधिकारी अजय सिंह बताते हैं. बंदरों का खतरा शहर में बहुत बढ़ गया है. रोजाना तीन से चार मामले बंदरों के काटने के सामने आ रहे हैं. ऐसे में उन्होंने 3000 बंदरों को पकड़ने का लक्ष्य रखा है पर अभी तक सिर्फ 200 बंदर पकड़े गए हैं और वन विभाग ने फिलहाल प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसलिए बंदरों के पकड़ने का काम अभी बंद है पूरे बनारस में 5000 से अधिक बंदर है पर फिलहाल 3000 बंदरों के पकड़ने का लक्ष्य रखा है. पर जब तक वन विभाग मंजूरी नहीं देता तब तक हम आगे की कार्रवाई नहीं कर सकते. वाराणसी के कुछ इलाकों में बंदरों का आतंक तो कुछ इस तरीके से है कि मानव लगता है कि यह आबादी वाला शहर नहीं बल्कि एक जंगल है बंदर चारों तरफ इस तरह से घूमते नजर आते हैं तो वही लोग लगातार दहशत में रहते हैं।
Source : Sushant Mukherjee