उत्तर प्रदेश के भदोही में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक दलित युवक को सिर्फ इसलिए बुरी तरह पीटा गया क्योंकि उसने आरोपियों की दुकान के पास पेशाब किया था. न केवल उसे बेरहमी से मारा गया, बल्कि उसे जातिसूचक गालियां भी दी गईं. इस घटना ने समाज में जातिगत भेदभाव और हिंसा की गहरी जड़ें उजागर की हैं. पुलिस ने पीड़ित युवक की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है और आरोपियों की पहचान कर जांच शुरू कर दी है.
दलित युवक के साथ मारपीट
यह घटना 8 अक्टूबर को भदोही के चौरी रोड ब्लॉक के पास हुई. 18 वर्षीय आदित्य सोनकर, जो कि राजपुरा गांव का निवासी है, दुकान के पास पेशाब करने के दौरान मौर्य परिवार के सदस्यों की नजर में आ गया. आरोपियों में दुखी मौर्य और उनके तीन बेटे—दिलीप, प्रदीप, और लल्लू मौर्य शामिल थे. अगले दिन, मौर्य परिवार ने आदित्य से घटना को लेकर पूछताछ की और बात इतनी बढ़ गई कि उसे बेरहमी से पीटा गया. इस दौरान आरोपियों ने उसे जातिसूचक अपशब्द कहे और गंभीर रूप से घायल कर दिया.
जातिगत भेदभाव और हिंसा
यह घटना एक बार फिर जातिगत भेदभाव और हिंसा की ओर ध्यान खींचती है, जो आज भी भारतीय समाज में व्यापक रूप से मौजूद है. आदित्य सोनकर को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह दलित समुदाय से आता है, और उसके साथ किया गया दुर्व्यवहार न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी पीड़ादायक था. मौर्य परिवार के सदस्यों ने आदित्य के साथ न सिर्फ मारपीट की, बल्कि उसकी जाति का अपमान करते हुए उसे मानसिक रूप से भी चोट पहुंचाई. यह एक चिंता का विषय है कि ऐसे घटनाएं अब भी समाज में घटित हो रही हैं, जहां लोगों को उनकी जाति के आधार पर अपमानित और प्रताड़ित किया जाता है.
लोगों की मदद और पुलिस की कार्रवाई
इस हमले के दौरान आदित्य को बचाने के लिए कुछ स्थानीय लोग आगे आए और उसे मौर्य परिवार के चंगुल से छुड़ाकर अस्पताल पहुंचाया. अस्पताल में उसका प्राथमिक उपचार हुआ, जिसके बाद उसने पुलिस से संपर्क किया. आदित्य की शिकायत पर पुलिस ने दुखी मौर्य और उनके बेटों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज किया है. पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
जातिगत अत्याचारों पर कानूनी कार्रवाई
यह घटना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज की गई है, जो कि जातिगत अत्याचारों से पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने का एक महत्वपूर्ण कानून है. इस कानून का उद्देश्य दलितों और आदिवासियों के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न को रोकना है. ऐसे मामलों में आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाती है, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और समाज में जातिगत भेदभाव को कम किया जा सके.