यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रोफेसर एस.के. चौबे की बर्खास्तगी की मांग को लेकर पिछले 2 दिनों से धरने पर बैठे बीएचयू के छात्रों ने आखिरकार अपना धरना खत्म कर दिया है. छात्रों ने ये धरना कुलपति राकेश भटनाकर से मुलाकात करने के बाद खत्म किया. वहीं छात्रों से मिलने के बाद कुलपति ने प्रौफेसर चौबे को लंबी छुट्टी पर भेजने का फैसला लिया है. साथ ही उनसे यूनिवर्सिटी के किसी भी काम में शामिल नहीं होने के लिए कहा गया है.
दरअसल छात्रों की कुलपति राकेश भटनागर से मुलाकात हुई थी जिसमें उन्होंने उन्हें आरोपी प्रोफेसर की बर्खास्तगी को लेकर आश्वासन दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक्सक्यूटिव कॉउंसिल कि जल्द ही मीटिंग होगी और पुराने आदेश को रिव्यू करने का आदेश दिया जाएगा. अगर दोबारा जांच में उनकी गलती मिलती है तो उन्हें बर्खास्त किया जाएगा.
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इससे पहले बीएचयू के रजिस्ट्रार नीरज त्रिपाठी ने कहा था कि उन्हें पहले निलंबित कर दिया गया था, लेकिन अब प्रतिबंधित कर दिया गया है. इस मामले को फिर से बीएचयू में निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय तक ले जाया जाएगा. त्रिपाठी ने कहा कि उपकुलपति ने शिकायत का संज्ञान लिया और उन्हें निलंबित कर दिया. एक जांच समिति ने बाद में एक रिपोर्ट दायर की और बीएचयू के निर्णय लेने वाले सर्वोच्च निकाय ने प्रोफेसर पर प्रतिबंध लगा दिया है. वह न तो बीएचयू में जिम्मेदारी का पद संभाल सकते हैं और न ही किसी कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं और न किसी अन्य कॉलेज या विश्वविद्यालय में आवेदन कर सकते हैं.
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बता दें, कि छात्राओं ने शिकायत की थी कि अक्टूबर 2018 में पुणे दौरे के दौरान चौबे ने कुछ लड़कियों पर आपत्तिजनक और भद्दी टिप्पणियां की थीं. छात्राओं ने दौरे से लौटने के बाद प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. बीएचयू प्रशासन ने आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित की जिसके बाद प्रोफेसर को निलंबित कर दिया गया. समिति ने छात्राओं के बयानों के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की, उसमें चौबे को दोषी पाया गया.