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आजम खान पर रामपुर प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, वापस ली जौहर यूनिवर्सिटी की 70 हेक्टेयर जमीन

यूपी सरकार द्वारा यूनिवर्सिटी की 70 हेक्टेयर ज़मीन वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. ये तब हुआ है जब यूपी सरकार के एक्शन के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका खारिज कर दी गई.

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Kuldeep Singh
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रामपुर में बनी आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और यूपी सरकार में मंत्री रहे आजम खान के खिलाफ योगी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. रामपुर प्रशासन ने आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी की ज़मीन पर कब्जा कर लिया है. यूनिवर्सिटी की 70 हेक्टेयर ज़मीन वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. इसके साथ ही आजम खां के मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को बेदखल कर दिया गया है. यह ट्रस्ट ही यूनिवर्सिटी को संचालित करता है और आजम खां इसके अध्यक्ष हैं, जबकि उनकी पत्नी शहर विधायक डा. तजीन फात्मा सचिव हैं. पिछले ही दिनों यूपी सरकार के एक्शन के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका खारिज कर दी गई. इसी के बाद प्रशासन ने अपनी कार्रवाई पूरी की है.  

यूनिवर्सिटी को नियंत्रण में लेगी योगी सरकार
यूनिवर्सिटी के पास महज 12.50 एकड़ जमीन बची है, जबकि नियमानुसार 50 एकड़ चाहिए. यही कारण है, योगी सरकार इसे अपने नियंत्रण में लेने की तैयारी में है. इसके लिए प्रशासन ने शासन को रिपोर्ट भेज दी है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद यूनिवर्सिटी की सारी जमीन भी सरकार ने अपने कब्जे ले ली है.

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सपा सरकार के दौरान बनी यूनिवर्सिटी
समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान आजम खान ने रामपुर के ही स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मोहम्मद अली जौहर नाम पर मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी का निर्माण किया. लेकिन उनके इस सपने को सत्ता परिवर्तन होते ही नजर लग गई और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद आजम खान के विरुद्ध 100 से अधिक मुकदमे दर्ज कर दिए गए. जौहर यूनिवर्सिटी के खिलाफ भी तमाम कार्रवाई शुरू की गई थीं. इन्हीं में एक कार्यवाही जमींदारी उन्मूलन अधिनियम 1950 के सीलिंग के नियम के अंतर्गत, जिसमें कोई भी व्यक्ति, परिवार या संस्था साढ़े 12 एकड़ से अधिक जमीन बिना प्रदेश सरकार की अनुमति के नहीं रख सकता है. इसी नियम के अंतर्गत प्रशासन ने जौहर यूनिवर्सिटी पर अपनी आंख टेड़ी कर ली और यह मानते हुए के साढ़े 12 एकड़ से अधिक भूमि रखने हेतु जौहर यूनिवर्सिटी को दी गई है. 

क्यों लिया गया एक्शन 
दरअसल जौहर यूनिवर्सिटी को मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट संचालित करता है और यह अल्पसंख्यक संस्थान है. प्रदेश सरकार ने 2005 में जौहर ट्रस्ट को 12.50 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदने की अनुमति दी थी, तब कुछ शर्तें भी लगाई थीं. ट्रस्ट ने तब कहा था कि वह गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दिलाएगी और चैरिटी का कार्य करेगी लेकिन, इन शर्तों का अनुपालन न करने का आरोप लगाते हुए भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर दी. तब शासन के आदेश पर प्रशासन ने जांच कराई तो शर्तों के उल्लंघन की बात सही पाई. ट्रस्ट को हर वर्ष एक अप्रैल को जिलाधिकारी को प्रगति रिपोर्ट देनी होती है लेकिन, ट्रस्ट ने कोई रिपोर्ट नहीं दी. जमीनों की खरीद-फरोख्त में भी नियमों का उल्लंघन किया गया. इसके बाद अपर जिला अधिकारी प्रशासन की ओर से अदालत में मुकदमा दायर किया गया था.

Source : News Nation Bureau

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