लोकसभा और राज्यसभा में सबसे बड़े दल के बाद अब भाजपा उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भी सबसे बड़ा दल बनकर इतिहास रचने जा रही है. विधान परिषद में प्रचंड बहुमत के बाद योगी सरकार को किसी भी विधयेक को विधानसभा में पारित करवाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी. हालांकि भाजपा अभी भी 35 सदस्यों के साथ विधान परिषद में सबसे बड़ा दल है. विधान परिषद की 36 सीटों पर विगत 9 अप्रैल को वोट पड़े हैं जिसमें से 9 सीटों पर तो भाजपा पहले ही निर्विरोध जीत हासिल कर चुकी है. बाकी बची 27 सीटों के लिए मतगणना 12 अप्रैल को होनी है.
2022 के विधानसभा चुनावों में 274 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत में आई भाजपा के खाते में 36 विधान परिषद की सीटों में से 34 सीटें जाती हुई दिखाई दे रही हैं. 9 सीटें तो बिना लड़े ही अपने पाले में कर ली हैं. सियासी जानकारों का मानना है कि दो सीटों को छोड़कर भाजपा अधिकांश सीटों पर जीत सकती है.
यह भी पढ़ें : कई राज्यों में श्रीरामनवमी की शोभायात्रा पर हमला, जानें- कहां क्या हुआ
गौरतलब है कि 2017 में जब योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, उस वक्त समाजवादी पार्टी विधान परिषद में सबसे बड़ा दल हुआ करती थी मगर उसके बाद जैसे-जैसे चुनाव होते गए भाजपा आगे निकलती रही. कई बार तो कार्यकाल पूरा होने के कारण तो कभी सपा के सदस्यों के इस्तीफा देने की वजह से विधान परिषद में सीटें खाली होती रहीं जिस पर भाजपा जीतती गई. जानकारों ने बताया कि 1990 से पहले कांग्रेस विधान सभा के दोनों सदनों में सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी.
आपको बता दें कि विधान परिषद में 38 सीटें निर्वाचन क्षेत्र की हैं, 36 सीटें स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र की जबकि 8 सीटें शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से आती हैं. इतनी ही सीटें यानि 8 स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की और 10 सीटों पर राज्यपाल मनोनीत करते हैं. अप्रैल और मई में राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए गए 6 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है. मधुकर जेटली, बलवंत सिंह, जाहिद हुसैन, राजपाल कश्यप, संजय लाठर और अरविंद सिंह ये सब समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य हैं जिनका कार्यकाल अप्रैल-मई में खत्म हो रहा है. जाहिर सी बात है अब इन 6 सीटों पर भाजपा के सदस्य ही मनोनीत किए जाएंगे.