उत्तर प्रदेश में आगामी उपचुनाव के लिए बीजेपी ने चुनाव आयोग को एक महत्वपूर्ण पत्र लिखा है, जिसमें 9 सीटों पर होने वाले मतदान की तारीख को बदलने की मांग की गई है. पार्टी ने कहा है कि मतदान की तिथि 13 नवंबर से बढ़ाकर 20 नवंबर की जाए. इस पत्र में बीजेपी ने स्पष्ट किया है कि 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का स्नान पर्व है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है.
बीजेपी की चुनाव आयोग को चिट्ठी और नई मांगें
इस दिन लाखों लोग स्नान और पूजा के लिए नदियों में जाते हैं. साथ ही, कई लोग 3 4 दिन पहले से ही मेलों में शामिल होने के लिए निकल पड़ते हैं. ऐसे में, पार्टी का मानना है कि इस पर्व के कारण बड़ी संख्या में मतदाता मतदान से वंचित हो सकते हैं. बीजेपी ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि सभी मतदाताओं का शत प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करने के लिए उपचुनाव की तिथि में बदलाव करना उचित होगा.
13 नवंबर को यूपी की नौ सीटों पर मतदान
यूपी की नौ सीटों पर मतदान 13 नवंबर को होना है, जबकि मतगणना 23 नवंबर को की जाएगी. जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, मैनपुरी की करहल, मिर्जापुर की मझवां, अयोध्या की मिल्कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर शामिल हैं.
चुनाव की तारीखों का अभी तक एलान नहीं
दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए चुनाव की तारीखों का अभी तक एलान नहीं किया है. इससे यह स्पष्ट नहीं है कि इस सीट पर मतदान कब होगा. भाजपा प्रत्याशियों की घोषणा की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है. पार्टी ने अगले सप्ताह तक उम्मीदवारों की सूची जारी करने की योजना बनाई है.
पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक
इस प्रक्रिया में पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठकें चल रही हैं, जिनमें प्रत्याशियों के चयन पर चर्चा की जा रही है. बैठक में तय किया गया है कि मीरापुर सीट को रालोद के लिए छोड़ दिया जाएगा, जबकि बाकी सभी सीटों पर बीजेपी अपने उम्मीदवार उतारेगी. इस प्रकार, यूपी उपचुनाव में बीजेपी की रणनीति और चुनाव आयोग को भेजा गया पत्र, दोनों ही राजनीतिक हलचल के महत्वपूर्ण पहलू हैं.
20 नवंबर को मतदान कराने की मांग
20 नवंबर को मतदान कराने की मांग यदि स्वीकार होती है, तो यह कई मतदाताओं के लिए राहत की बात होगी, जो धार्मिक आयोजनों में व्यस्त रहेंगे. बीजेपी की इस पहल से यह भी स्पष्ट होता है कि पार्टी मतदाताओं के अधिकारों को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है. यूपी के राजनीतिक माहौल में यह परिवर्तन न केवल पार्टी के लिए, बल्कि चुनाव आयोग के लिए भी एक चुनौती होगी.