उत्तर प्रदेश के उन्नाव में अनारक्षित जिला पंचायत अध्यक्ष सीट पर बीजेपी प्रत्याशी कौन होगा? इसको लेकर कई दिनों से राजनीतिक गलियारों में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे और दौड़ में शामिल नेता लखनऊ बीजेपी कार्यलय से लेकर संघ के पदाधिकारियों की गणेश परिक्रमा कर रहे थे. कल देर रात सभी संभावनाओं को उस समय विराम लग गया, जब बीजेपी ने पूर्व ब्लॉक प्रमुख व औरास वार्ड नंबर 12 से जिला पंचायत सदस्य चुने गए अरुण सिंह को पार्टी समर्थित प्रत्याशी घोषित कर दिया. प्रत्याशी की दौड़ में शामिल पूर्व स्व. एमएलसी अजीत सिंह की पत्नी शकुन सिंह को तगड़ा झटका लगा है. बता दें कि अरुण सिंह को रेप के दोषी सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के करीबी में शुमार हैं. रेप पीड़िता ने सड़क हादसे मामले में ट्रुक से कुचलाकर हत्या कराए जाने मामले में अरुण सिंह को भी नामजद किया था, वहीं कुलदीप के समर्थक के तौर पर अरुण ने पीड़िता के चाचा जो तिहाड़ जेल में बंद है, उसके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था. वहीं अरुण के टिकट को लेकर चर्चाओं का बाज़ार भी गर्म हो गया है. वहीं समाजवादी पार्टी तीसरी बार जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं मालती रावत को जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी घोषित किया है.
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2016 में सपा सरकार में समर्थन पर नवाबगंज ब्लॉक से अरुण सिंह ब्लॉक प्रमुख चुने गए थे और व्यापारी से नेता बनने का सफ़र शुरू किया. 2017 में बीजेपी की सरकार बनते ही अरुण सिंह ने सांसद साक्षी महाराज का साथ पकड़ा और विवादों के बीच ' बीजेपी ' में आ गए और भगवा मय हो गए. 2018 में बांगरमऊ विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर एक पीड़िता ने रेप का आरोप लगाया, जिसमें कुलदीप का सहयोग करने को लेकर अरुण सिंह पर भी रेप पीड़िता ने गंभीर आरोप लगाए और सीबीआई ने पूछताछ भी की. जिसके बाद कुलदीप को सीबीआई ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जुलाई 2019 में रेप पीड़िता की कार का रायबरेली में ट्रक से भिड़ंत हो गई, जिसमें पीड़िता की मौसी व एक अन्य की मौत हो गई थी और पीड़िता को गंभीर चोटें आई थी.
जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और पीड़िता ने कुलदीप सिंह सेंगर पर हत्या कराए जाने का आरोप लगाया. तहरीर में कुलदीप के अलावा उनके भाई अतुल सेंगर , निवर्तमान ब्लॉक प्रमुख अरुण सिंह समेत 10 के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया. वहीं सीबीआई ने भी रिपोर्ट दर्ज कर जांच की. घटनाक्रम की जांच अभी भी सीबीआई कोर्ट की फाइलों में है. दोषी विधायक के जेल जाते ही अरुण सिंह ने बीजेपी सांसद साक्षी महाराज के खेमे में शामिल हो गए और कुछ ही दिनों में सांसद के करीबी बन गए. 2019 के लोकसभा चुनाव में साक्षी महाराज के खास सिपाहसलार बने. वहीं सांसद के करीबियों में शुमार अरुण सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी बनाए जाने से बीजेपी के एक गुट में अंदरखाने विरोध के सुर फूट रहे हैं. जिससे यह कहना भी गलत नहीं होगा कि बीजेपी समर्थित प्रत्याशी के लिए जीत फतेह करने में अपनों से निपटना भी चुनौती भरा साबित होने वाला है.
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आपको बता दें कि 2015 में सपा सरकार में तीसरी बार भगवंतनगर सीट से विधायक रहते हुए कुलदीप सिंह सेंगर ने सपा समर्थित प्रत्याशी ज्योति रावत के सामने पार्टी से बगावत कर अपनी पत्नी संगीता सेंगर को चुनाव लड़ाया था और लाटरी से संगीता सेंगर जिला पंचायत अध्यक्ष बनी थी. आपको बता दें कि जनपद में 51 जिला पंचायत सदस्य हैं. प्रत्याशी को जीत के लिए 26 जिला पंचायत सदस्यों का समर्थन चाहिए होगा. वहीं बीजेपी के समर्थन से चुनाव जीतने वाले केवल 9 जिला पंचायत सदस्य हैं. जबकि सपा के समर्थन से जीतने वाले सदस्यों की संख्या 20 है. ऐसे में सपा समर्थित प्रत्याशी मालती रावत जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रही है. उन्नाव में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने में निर्दलीय जिला पंचायत सदस्यों की भूमिका काफी अहम होने वाली है.