कोरोना संकट के बाद लद्दाख सीमा पर चीन से तनाव के बाद देश मे चीनी सामानों का बहिष्कार होने लगा है. लेकिन चाइनीज आइटमों का पूरी तरह से बहिष्कार काफी कठिन है. लखनऊ के नाका का इलेक्ट्रानिक मार्केट, उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक मार्केटों में शुमार होता है. लेकिन सच ये है कि ये बाजार पूरी तरह से चीन के उत्पादों पर निर्भर है. दुकानदार भी चाहते हैं कि चीन में बने समान उन्हें न बेचना पड़े. लेकिन व्यापारियों के पास विकल्प नही है.
सोशल मीडिया से लेकर सड़क पर चीन के सामानों का बहिष्कार हो रहा है. लेकिन सवाल ये है कि क्या सिर्फ बहिष्कार करने भर से चीनी समान हमारे बाजारों में बिकना बंद हो जाएंगे. फिलहाल तो ऐसा नही दिख रहा है. लखनऊ के नाका मार्केट में हर रोज इलेक्ट्रिक सामानों का करोड़ों का कारोबार होता है. लेकिन इस मार्किट में 70 से 80 फीसदी इलेक्ट्रिक आइटम चीनी हैं. चाहे एलईडी हो, साउंड सिस्टम हो या फिर कोई दूसरा उत्पाद अधिकतर चीन के बने हैं. नाका में इलेक्ट्रिक सामानों का व्यापार करने वाले व्यापारी भी गुस्से में हैं, वे भी अपने देश मे बने समान को अपनी दुकान में रखना चाहते हैं, लेकिन उनके पास विकल्प नही है. क्योंकि बहुत से इलेक्ट्रॉनिक सामानों का भारत मे उत्पादन अभी न के बराबर है.
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व्यापारियों की माने तो इलेक्ट्रिक मार्किट पर चीनी आइटमों का 70 से 80 फीसदी कब्ज़ा है. ऊपर से यहां बने उत्पाद इतने महंगे होते हैं कि जब कोई दुकान में आता है तो वो कम कीमत की वजह से चीनी सामानों को ही खरीदकर घर चला जाता है.
इलेक्ट्रिक सामानों का व्यापार करने वाले व्यापारी नेता बताते हैं कि पहले जापानी आइटमों का भारत के इलेक्ट्रानिक मार्केट में प्रभाव हुआ करता था. लेकिन कम कीमत की वजह से धीरे-धीरे चीनी सामानों ने भारत के मार्केट कब्ज़ा कर लिया है. फिलहाल की स्थिति ये है कि कई कंपनियां चीन से इलेक्ट्रिकल सामानों को इम्पोर्ट कर उसपर अपना लेबल लगा व्यापार कर रही हैं.
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चीन से निकले कोरोना और अब लदाख सीमा पर चीन की हरकतों से लखनऊ का व्यापारी गुस्से में है. वो अपने देश के उत्पादों को अपनी दुकान पर रखना चाहता है. लेकिन विकल्प न होने की वजह से दुकानदार भी अपनी दुकानों में चीनी आइटम रखने को मजबूर हैं.
Source : News Nation Bureau