केंद्रीय जल आयोग ने भू-जल को लेकर जो रिपोर्ट दी है उससे प्रदेश के कई भाग बुरी तरह से प्रभावित दिखाई दे रहे हैं. जिसमें बुंदेलखंड के कई क्षेत्र जल संचयन और जल संरक्षण न होने और अत्यधिक जल दोहन से जल संकट से जूझ रहे हैं. बुंदेलखंड के चित्रकूट धाम मंडल की बात करें तो इस मंडल में 24 विकासखंड में से 13 ब्लॉक डार्क जोन क्रिटिकल और सेमी क्रिटिकल की कैटेगरी में आ चुके हैं. मंडल मुख्यालय बांदा में बबेरू जसपुरा, नरैनी सेमी क्रिटिकल जोन पहले से ही घोषित हैं.
जल संकट को देखते हुए और डार्क जोन क्रिटिकल ब्लॉक के लिए हालांकि प्रशासन की तरफ से जल्द दोहन रोकने के लिए तमाम कोशिश की गई हैं लेकिन वह धरातल पर नाकाफी हैं. मंडल मुख्यालय बांदा में जल संकट से तकरीबन सैकड़ाें गांव जूझ रहे हैं तो वहीं शहर के बहुत से हिस्से भी बूंद बूंद पानी को तरस रहे हैं.
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जल संकट से लोग परेशान
बांदा जनपद में जल संकट से लोग परेशान हैं. तालाब सूख चुके हैं. कुओं में पानी नीचे जा चुका है. अधिकांश हैंडपंप भी जवाब दे चुके हैं, बांदा जिले के कई हिस्सों में जलस्तर गर्मी के महीनों में बेहद नीचे चला जाता है और इसी की वजह से कुएं और हैंडपंप महज शोपीस साबित होने लगते हैं. बांदा शहर के किनारे बसे मोहनपुरवा, गोयरा, दुरेड़ी, अछरौड़ जैसे तमाम गांव हैं, जहां पानी की एक-एक बूंद के लिए लोग तरस रहे हैं.
सरकारी उदासीनता के शिकार हैं
हालात इतने बदतर हैं कि केन नदी के किनारे बसे गांव में लोगों को 2 किलोमीटर दूर जाकर नदी से पानी भरना पड़ता है तो वहीं जल स्तर इतना घट चुका है कि क्षेत्र के आधे कुएं और हैंडपंप जल विहीन हो चुके हैं और जिन हैंडपंप या कुओं में पानी है, उसी से लोगों को गुजारा करना पड़ रहा है. कमोबेश यही हालत मंडल मुख्यालय बांदा शहर की भी है ,जहां कई क्षेत्रों में पानी की बूंद बूंद के लिए लोग मोहताज हो रहे हैं. जल संस्थान के टैंकर भी जलापूर्ति करने के लिए या तो नाकाफी हैं या सरकारी उदासीनता के शिकार हैं.
सिर्फ पाइपलाइन ही डाली गई है
हालांकि बुंदेलखंड की प्यास बुझाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी कछुआ गति से चल रहा है जल जीवन मिशन के तहत अगर सरकारी फाइलों की बात करें तो पचासी प्रतिशत इस मिशन को पूरा कर लिया गया है, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले के 50% गांव ऐसे हैं जहां पर पानी पहुंच रहा है लेकिन जमीन पर हालात इसके खिलाफ नजर आ रहे हैं. धरातल की बात करें तो जल जीवन मिशन के तहत कुछ ही गांव में पाइपलाइन पड़कर लोगों के घरों तक टोटियां लगी हैं लेकिन उन टोटियों से पानी नदारत है. ज्यादातर जगहों पर अभी सिर्फ पाइपलाइन ही डाली गई है लोगों के घरों तक कनेक्शन भी नहीं पहुंचे हैं लेकिन अधिकारी फाइलों में पचासी प्रतिशत काम को पूरा दिखा रहे हैं.
ग्रामीण क्षेत्र से जो तस्वीर निकल कर सामने आ रही हैं वह संस्थाओं और जिला प्रशासन पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है. हालांकि इस मामले में जल निगम के अधिशासी अभियंता से जब बात की गई तो उनका कहना था कि 50% गांव में पानी की सप्लाई शुरू है और पचासी प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. इसे जुलाई अगस्त के महीने तक पूरा कर लिया जाएगा लेकिन जमीन पर हालात उनके दावे के बिलकुल खिलाफ हैं.
अधिकारियों को निर्देशित किया जा रहा
वही इस मामले में इसी क्षेत्र के विधायक और जल शक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद का कहना है कि जहां-जहां कमियां संज्ञान में आ रही हैं. उन कमियों को पूरा करने के लिए कार्रदाई संस्थाओं और संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जा रहा है और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बहुत जल्द इस पूरे क्षेत्र को जल संकट से मुक्त कर दिया जाएगा. अब देखना होगा कि केंद्रीय जल आयोग के रिपोर्ट के मुताबिक जल संकट की भयावता को सरकारी आंकड़े और दावों से कैसे खत्म किया जाएगा यह आनेवाला वक्त बताया लेकिन फिलहाल हालात बाद से बदतर ही नजर आ रहे हैं.
Source : News Nation Bureau