ईरान और अमेरिका के बीच तनाव को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है. मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान में लोगों में गुस्सा है. बुधवार को ईरान ने इराक में स्थित अमेरिकी सैन्य बेस पर हमला किया. ईरानी कमांडर की मौत के बाद अब इराक अमेरिकी फौज को देश से बाहर निकालना चाहता है. जानकारों के मुताबिक अमेरिका ईरान में अपने पसंद की सरकार चाहता है. लेकिन, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनेई की मौजूदगी में यह संभव नहीं दिख रहा है. क्या आपको पता है कि अयातुल्लाह रुहोल्लाह खामेनेई (Ayatollah Ali Khamenei) का रिश्ता भारत के एक छोटे से गांव से जुड़ा हुआ है.
बाराबंकी के किंतूर में के रहने वाले सैयद निहाल अहमद काजमी का कहना है कि अयातुल्लाह खामेनेई के दादा सैय्यद अहमद मसूवी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के रहने वाले थे. 1830 के दशक में वह अवध के नवाब के साथ धार्मिक यात्रा पर इराक और फिर ईरान गए. एक बार जब वह वहां चले गए तो उन्होंने न लौटने का फैसला किया. वह खुमैन गांव में जाकर बस गए.
उनके बाद की पीढ़ी ने खामेनेई को अपने सरनेम की तरह इस्तेमाल किया. अंग्रेजों से परेशान होकर उन्होंने देश छोड़ दिया. आज खामेनेई नाम ईरान के सबसे ताकतवर नामों में से एक है. ईरान की क्रांति के सफल होने से पहले तक ईरान के शाह की हुकूमत में खामेनेई को भारतीय मुल्ला और एजेंट तक कहा जाता था. अयातुल्लाह खामेनेई के पिता एक धार्मिक नेता थे. खामनेई का जन्म 1902 में हुआ.
निहाल अहमद ने बताया कि पिछले साल 9 अगस्त को वह ईरान गए थे. तब उन्हें इस बारे में जानकारी मिली. जब उन्हें इस बारे में पता चला तो उन्हें बहुत फक्र महसूस हुआ. लेकिन आज जो हालात हैं वह काफी दुखद हैं. ईरान एक शांति पसंद मुल्क है और उसने कभी किसी पर हमला नहीं किया.
Source : News Nation Bureau