मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज गोरखपुर में उचित दर विक्रेताओं के लाभांश में वृद्धि करते हुए सभी कोटे की दुकानों को सीएससी के रूप में विकसित किए जाने के कार्यक्रम की शुरुआत की. गोरखपुर के योगीराज गंभीर नाथ प्रेक्षागृह में आयोजित इस कार्यक्रम में गोरखपुर के 1100 कोटेदारों के साथ गोरखपुर के सभी सांसद और विधायक भी मौजूद रहे. इस कार्यक्रम में राज्य सरकार और सीएससी e-governance सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच एमओयू साइन किया गया और जल्द ही प्रदेश के सभी 80,000 कोटे की दुकानों को कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में डेवलप किया जाएगा. यहां पर अब लोग राशन की सुविधाओं को लेने के साथ-साथ सरकार की दूसरी सभी ऑनलाइन योजनाओं का भी लाभ ले पाएंगे.
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज का कार्यक्रम प्रदेश के 80 हजार कोटे के दुकानदारों के जीवन मे व्यापक परिवर्तन लाने का अभियान है. बहुत बार कोटेदारों को लोग हेय दृष्टि से देखते थे इसको लेकर प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में एक अभियान प्रारंभ हुआ. यूपी में 80 हजार राशन कोटेदारों ने प्रदेश के अंदर अच्छी व्यवस्था देने का कार्य किया जिसकी सराहना हुई है. आय जाति प्रमाणपत्र, बैंकिंग सुविधा, बिजली बिल जैसी सेवाएं आपके माध्यम से जनता को मिलेगी. इससे आपकी इनकम भी बढ़ेगी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कोटेदारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूपी का राशन कार्ड देश के दूसरे प्रदेशों में भी काम करता है और लोग इससे खाद्यान ले रहे हैं. किसी गरीब निराश्रित की मदद करना आपको पुण्य का भागी बना देता है. आप शासन की सुविधा को लोगों तक पहुचाने का माध्यम बने हैं. इस सदी की सबसे बड़ी महामारी के दौरान भी सबको राशन की सुविधा उपलब्ध कराई गयी. राज्य सरकार ने पात्र गृहस्थी राशन कार्ड धारकों को अपने स्तर पर दिसम्बर से 1 किलो दाल, 1 किलो रिफाइंड और नमक उपलब्ध कराया.
सीएम ने कहा कि संकट में जो खड़ा हो वही सच्चा साथी होता है और इसे इस योजना ने साबित किया है. सीएम योगी ने कहा कि सीएससी की सुविधा से सिर्फ 80 हजार कोटेदार ही नही बल्कि यूपी के 25 करोड़ लोग भी जुड़ेंगे. कोटे की दुकान को व्यवस्थित तरीके से बनाने का काम भी सरकार करने जा रही है. इस कार्यक्रम में आए गोरखपुर के कोटेदारों का कहना है कि कांग्रेस की सरकार के बाद पहली बार योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लाभांश को 70 रुपये से बढ़ाकर 90 रुपया किया है. इसके पहले किसी सरकार ने इनके बारे में सोचा नहीं था. हालांकि इनका मानना है कि जिस तरह से इनके कोटे की दुकानों पर खर्चे और परिश्रम है उसके हिसाब से इनको कम से कम लाभांश के रूप में 150 रुपये मिलने चाहिए.
Source : Deepak Shrivastava