उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए मंगलवार को उस वक़्त हालात असहज हो गया जब गोरखनाथ मंदिर में आयोजित जनता दरबार के दौरान लखनऊ के एक व्यापारी पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनके विधायक बेटे अमनमणि त्रिपाठी के ख़िलाफ़ शिकायत लेकर पहुंच गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीड़ित ने मुख्यमंत्री से मिलकर इन दोनों के खिलाफ 22.2 बीघा जमीन कब्जाने और अमनमणि द्वारा धमकी देने की शिकायत की थी। लेकिन सीएम योगी ने पीड़ित व्यापारी की सुनने के बजाए उसी पर भड़क गए।
जनता दरबार से बाहर निकलने के बाद आयुष सिंघल नाम के उस व्यापारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी और उनके बेटे अमनमणि त्रिपाठी ने पांच साल से उनकी सदर तहसील पपनामऊ स्थित 22.2 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है।
सिंघल ने बताया कि साल 2012 में व्यवसाई और उसके परिवार ने इस जमीन की रजिस्ट्री कराई थी लेकिन बाद में दोनों ने ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया।
आयुष ने बताया कि वो यही शिकायत लेकर मंगलवार को लखनऊ से गोरखपुर पहुंचे थे जिससे कि वो अपनी शिकायत सीएम को सुना सके लेकिन जब उन्होंने यह मामला सीएम योगी को बताया तो वह पीड़ित की पूरी बात सुनने के बजाए उसी पर ग़ुस्सा हो गए और फाइल फेंककर जनता दरबार से बाहर करवा दिया।
हालांकि आयुष ने यह भी कहा कि इससे पहले वह सीएम योगी से लखनऊ और 28 फरवरी को गोरखपुर जनता दरबार में मिले थे। उस वक़्त सीएम ने लखनऊ एसएसपी को जांच के आदेश दिए थे लेकिन अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने से निराश होकर वो फिर से सीएम से मिलने पहुंचे थे।
आयुष ने आरोप विधायक अमनमणि त्रिपाठी पर उन्हें लगातार धमकी देने का आरोप लगाया है।
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Source : News Nation Bureau