उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरु हो गई है. 5 पुलिस अफसरों को पद से हटाने के बाद चर्चा हो रही है कि यूपी के बड़े शहरों में कमिश्नर सिस्टम लागू कर देना चाहिए. आखिर कमिश्नर सिस्टम क्या है? (Commissioner System) क्यों आखिर कमिश्नर प्रणाली देश के 100 महानगरों में सफल हो रही है. आइए जानते हैं कि कमिश्नर होने से आखिर क्या फायदे होंगे.
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर कमिश्न प्रणाली लागू करने की चर्चा हो रही है. नोएडा और लखनऊ में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कमिश्नर प्रणाली लागू हो सकती है. इस नई व्यवस्था का प्रारूप तय करने के लिए मंथन का दौर शुरू हो गया.
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कमिश्नर प्रणाली अगर लागू होती है तो पुलिस के अधिकार काफी हद तक बढ़ जाएंगे. कानून व्यस्था से जुड़े तमाम मुद्दों पर पुलिस कमिश्नर निर्णय ले सकेगा. जिले में डीएम के पास अटकी रहने वाली तमाम फाइलों को अनुमति लेने का झंझट खत्म हो जाएगा.
कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्टेरियल पावर पुलिस को मिल जाएगी. जिससे पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक लगा सकेगी. इन सबके लिए डीएम से अनुमति लेने की आवश्यक्ता नहीं होगी.
ये होंगे अधिकार
- अगर कमिश्नर सिस्टम की बात कानून की भाषा में की जाए तो CRPC की मजिस्ट्रियल पावर वाली कार्यवाही अब तक जिला प्रशासन के अफसरों के पास थी. वह अब पुलिस कमिश्नर को मिल जाएगी. CRPC की धारा 107-16, 144, 109, 110, 145 का क्रियान्वयन पुलिस कमिश्नर कर सकेंगे.
- होटल के लाइसेंस, बार लाइसेंस, हाथियार का लाइसेंस भी पुलिस ही दे सकेगी. धरना प्रदर्शन की अनुमति देना और न देना भी पुलिस के हाथों में आ जाएगा.
- दंगे के दौरान लाठीचार्ज होना चाहिए या नहीं, अगर बल प्रयोग हो रहा है तो कितना बल प्रयोग किया जाएगा इसका निर्णय भी पुलिस ही करेगी.
- जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण में भी पुलिस को अधिकार मिलेगा. पुलिस कमिश्नर सीधे लेखपाल को पैमाइश का आदेश दे सकता है. माना जा रहा है कि इससे जमीन से संबंधित विवाद का निस्तारण जल्दी होगा.
- कमिश्नर प्रणाली से शहरी इलाकों में भी अतिक्रमण पर अंकुश लगेगा. अतिक्रमण अभियान चलाने का आदेश सीधे तौर पर कमिश्नर दे सकता है और नगर निगम को इस पर अमल करना होगा.
कमिश्नर सिस्टम की दिक्कत
तमाम खूबियों के बीच इस प्रणाली से पुलिस के निरंकुश होने का खतरा भी बना रहेगा. नोएडा के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण के अश्लील वीडियो से शुरु होते हुए भ्रष्टाचार का सिलसिला सस्पेंशन तक पहुंच चुका है. एसएसपी नोएडा गौरव कृष्ण को सस्पेंड कर दिया गया है और 5 आईपीएस अफसरों को हटा दिया गया है. माना जा रहा है कि पुलिस के पास जब इतने सारे अधिकार आ जाएंगे तो भ्रष्टाचार और भी बढ़ सकता है. लेकिन जिले की कमान को आईजी रैंक के अफसर के हाथों में देने से व्यवस्था सुधरती है. इस बारे में तमाम जांच आयोगों ने अपनी सिफारिश में कहा है. दलील यह भी दी गई है कि जब 15-20 साल के अनुभव वाला अफसर जिले की कमान संभालेगा तो उसके अनुभवों का लाभ पुलिसिंग में देखने को मिलेगा. दिल्ली, मुंबई, बैंगलुरू जैसे शहरों में कमिश्नर सिस्टम का उदाहरण हैं.
कमिश्नर सिस्टम की पहले हो चुकी है पहल
उत्तर प्रदेश में कमिश्नर सिस्टम लागू करने की यह पहल कोई पहली बार नहीं है. सबसे पहले 1976-77 में प्रयोग के तौर पर कानपुर में कमिश्नर सिस्टम लागू करने की कोशिश की गई थी. साल 2009 में मायावती सरकार ने भी नोएडा और गाजियाबाद को मिलाकर कमिश्नर प्रणाली लागू करने की तैयारी की थी. पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने भी प्रदेश की योगी सरकार को कई जिलों में कमिश्नर सिस्टम लागू करने की बात कही थी.
Source : Yogendra Mishra