वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग पर विवाद बढ़ता जा रहा है. कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णन ने शिवलिंग पर भाजपा-सपा के साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयानों की निंदा की है. उन्होंने कहा कि, 'शिवलिंग' हमारी आस्था का विषय है. हमारी पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने खुद कहा है कि वह एक 'शिव भक्त' हैं. सनातन धर्म सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाता है लेकिन हमारे अपने धर्म का अपमान करने की अनुमति नहीं देता.
Delhi | 'Shivling' is a matter of our faith. Our party's top leader Rahul Gandhi has himself stated that he is a 'Shiv Bhakt'. Sanatan Dharma teaches respect for all religions but does not give permission to insult our own religion: Congress leader Pramod Krishnam pic.twitter.com/NGFTuSc4Dl
— ANI (@ANI) May 23, 2022
उन्होंने कहा कि, सपा नेता अखिलेश यादव हों या राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, 'शिवलिंग' को 'तमाशा' नहीं कहा जा सकता, यह आस्था का विषय है. दुर्भाग्य से, हमारी पार्टी के कुछ नेता खुद को अधिक उदार दिखाने की कोशिश में 'शिवलिंग' का मजाक उड़ा रहे हैं.
Be it SP leader Akhilesh Yadav or Rajasthan CM Ashok Gehlot, 'Shivling' cannot be termed as 'Tamasha', this is a matter of faith. Unfortunately, some leaders of our party in an attempt to show themselves as more liberal are making fun of 'Shivling':Congress leader Pramod Krishnam pic.twitter.com/hOLbGirNCr
— ANI (@ANI) May 23, 2022
कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णन ने कहा कि, हमारी पार्टी 'सर्वधर्म संभव' की विचारधारा पर काम करती है. हम महात्मा गांधी के अनुयायी हैं. कोर्ट के फैसले का पालन करेंगे. मेरे लिए पूरा देश एक मंदिर है. बीजेपी मंदिरों में वोट खोजती है, हम शिवलिंग में भगवान की तलाश करते हैं.
Our party works on ideology of 'Sarvdharm Sambhav'. We're followers of Mahatma Gandhi:Cong leader Pramod Krishnam
— ANI (@ANI) May 23, 2022
Will follow the court's judgment. For me, whole nation is a temple. BJP searches votes in temples, we search for God in Shivling: P Krishnam, Cong on Gyanvapi case pic.twitter.com/04XEFi3F80
ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष की दलीलों ने पूरे मामले को नया मोड़ दिया है. हिदू पक्ष की दलीलें इस केस को जमीन के मालिकाना हक से जोड़ती है, हिंदू पक्ष ने सीधे ज्ञानवापी की जमीन पर अधिकार के सवाल को उठाया है और इस जमीन का मालिक आदि विश्वेश्वर को बताया गया है और यही तर्क और ट्विस्ट अब इस केस को बहुत दिलचस्प बना रहा है. ज्ञानवापी केस में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पेश की गईं. इन दलीलों की वजह से इस केस में एक नया मोड़ आ गया है.