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पंजाब की कांग्रेस सरकार मुख्तार अंसारी को बचाना चाहती है : सिद्दार्थ सिंह

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने रविवार को एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि पंजाब सरकार किसी भी प्रकार मुख्तार अंसारी को बचाना चाहती है. पंजाब सरकार कोशिश कर रही है कि मुख्तार अंसारी कोर्ट में पेशी पर न आ सके

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Avinash Prabhakar
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siddharth nath singh

Siddarth Singh( Photo Credit : File)

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उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने रविवार को एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि पंजाब सरकार किसी भी प्रकार मुख्तार अंसारी को बचाना चाहती है. नियमों को तोड़ मरोड़ कर जैसे-तैसे कोशिश कर रही है कि मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश कोर्ट में पेशी पर न आ सके. सिद्दार्थ सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार अपराध के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति को पूरे अर्थों में अपनाया है. प्रदेश में पिछले करीब पौने चार साल में अपराधियों-माफियाओं के खिलाफ जिस सख्ती से कार्रवाई की गई है, उसने माफियाओं के साथ-साथ उनके राजनीतिक संरक्षकों को भी 'बदहवास' सा कर दिया है. 

प्रेस व्यक्तव में सिद्दार्थ सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की हालिया गतिविधियां और बयान उनकी असल नीति और नीयत को उजागर करती हैं. मुख्तार अंसारी जैसों पर हो रही कार्रवाई से इन दोनों दलों के नेताओं को पीड़ा हो रही है. उनका कहना था कि माफियाओं के बारे में दोनों की सोच एक जैसी है. 

सिद्दार्थ सिंह ने आरोप लगाया की शायद इसी वजह से प्रियंका गांधी ने  कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय के पत्र का जवाब तक देना जरूरी नहीं समझा. मुख्तार अंसारी जैसे कुख्यात, समाज विरोधी अराजक माफिया को आज कांग्रेस के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त है. अलका राय को प्रियंका गांधी को लिखे अपने पत्र का जवाब न मिलना कांग्रेस पार्टी की माफियाओं से मिलीभगत को दिखाता है. पंजाब सरकार येन-केन प्रकारेण मुख्तार अंसारी को बचाना चाहती है. नियमों को तोड़ मरोड़ कर जैसे-तैसे कोशिश कर रही है कि मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश कोर्ट में पेशी पर न आ सके. 

सिद्दार्थ सिंह ने आगे बताया कि 'सैफई ब्रांड समाजवादी पार्टी और माफियाओं  का गठजोड़ किसी से छुपा नहीं है'. कानून-व्यवस्था को चुनौती देने वाला हर अराजक तत्व योगी सरकार के निशाने पर है. चाहे वह कोई पेशेवर अपराधी हो या फिर राजनीतिक प्रदर्शनकारियों के वेश में हड़ताल और बंदी के नाम पर सरकारी और निजी संपत्तियों में तोड़फोड़ और आगजनी करने वाली अराजक जमात. माफियाओं के अधिकांश महल और ठिकाने अवैध तरीके से काबिज जमीनों पर इनकी काली कमाई से बनते हैं. ये जमीनें भी गरीबों और मजलूमों की ही होती हैं. अगर सरकार माफियाओं के इन ठिकानों को जमीदोंज कर वहां गरीबों का आवास बनाने जा रही है तो इसका स्वागत होना चाहिए.

Source : News Nation Bureau

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