प्रयागराज के बसवार गांव से शुरू होकर मिर्जापुर भदोही वाराणसी होते हुए बलिया के बैरिया तहसील के माझी घाट तक जाने वाली कांग्रेस की नदी अधिकार पद यात्रा को कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने बसवार घाट से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. लेकिन इस यात्रा को निषाद समाज की तरफ से उम्मीद के मुताबिक समर्थन न मिलने से कांग्रेस के खेमे में निराशा दिखाई दी. गौरतलब है कि बसवार गांव में 4 फरवरी को अवैध खनन की सूचना पर पुलिस, राजस्व और खनन विभाग की टीमें छापेमारी करने पहुंची थी. जिनकी नाविकों के साथ झड़प हो गई थी.
आरोप है कि नाविकों ने पुलिस राजस्व और खनन की टीम पर हमला बोल दिया था। जिसके बाद जवाबी कार्यवाही में पुलिस ने नाविकों के साथ मारपीट की थी और महिलाओं को भी पीटा था। पुलिस पर आरोप है कि जेसीबी मशीनें लगाकर 16 नावें क्षतिग्रस्त कर दी थी। इस मामले में दर्जनों नामजद और सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज किया है।
घटना के बाद गांव बना राजनीति का अखाड़ा
इस घटना के बाद से ही बसवार गांव राजनीतिक दलों के लिए सियासी अखाड़ा बना हुआ है. प्रियंका गांधी वाड्रा 21 फरवरी को बसवार गांव पहुंची थी. उन्होंने यहां पर चौपाल लगाकर महिलाओं और नाविकों से बातचीत की थी. जिसके बाद सियासी मरहम लगाते हुए नाविकों की टूटी नाव के लिए 10 दस लाख की आर्थिक मदद का भी ऐलान किया था. यह धनराशि का कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के जरिए लोगों को दे दी गई है. घटना के बाद समाजवादी पार्टी, निषाद पार्टी सहित कई राजनीतिक दलों के लोग गांव पहुंचे थे.
बसवार गांव में नाविकों की नाराजगी को देखते हुए प्रियंका गांधी ने मिशन 2022 के मद्देनज़र इस गांव से बलिया जिले माझी घाट तक नदी अधिकार यात्रा के जरिये निषाद और पिछड़े समाज को पार्टी से जोड़ने का बड़ा सियासी दांव खेला था. लेकिन आज जब इस यात्रा को हरी झंडी दिखाई गई तो बसवार गांव के लोग और महिलाएं कार्यक्रम के मंच से बार बार अपील के बाद भी इस अधिकार यात्रा में शामिल नही हुए. निषाद समाज को जोड़ने के लिए कांग्रेस ने देश भर से पार्टी से जुड़े निषाद और पिछड़े समाज के कई नेताओं को कार्यक्रम में बसवार बुलवाया था जिनमे छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के विधायक कुंवर सिंह निषाद, पूर्व सांसद राजाराम पॉल, पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव, कांग्रेस के संगठन मंत्री अनिल यादव समेत तमाम स्थानीय नेता शामिल थे.
निषाद समाज की उदासीनता को देखते कांग्रेस विधायक कुंवर सिंह ने दूर गांव में मौजूद नाविक समाज से अपील भी कि जिस निषाद समाज की आबादी प्रदेश में डेढ़ करोड़ है उस समाज से डेढ़ सौ लोग भी कार्यक्रम में शामिल नही है जबकि कांग्रेस ये लड़ाई उनके अधिकारों के लिए लड़ रही है. इतना ही नही कांग्रेस के स्थानीय नेता की झल्लाहट गांव में एक चाय की दुकान पर निकली जिन्होंने लोगों से कहा कि अगर गांव से नही निकले तो ऐसे ही लाठी खाते रहोगे और तुम्हारी लड़ाई लड़ने वाले कोई नही होगा.
क्या डैमेज कंट्रोल में कामयाब रही यूपी सरकार
बसवार गांव में सियासी अखाड़ा बनने के सीएम योगी आदित्यनाथ ने डैमेज कंट्रोल के लिए 27 फरवरी कैबिनेट मिनिस्टर व राज्य सरकार के प्रवक्ता और सांसद रीता जोशी को गांव भेजा था. इस मौके पर बीजेपी और संघ से जुड़े निषाद समाज के कई नेता और कार्यकर्ता ने गांव में एक बड़ी पंचायत का आयोजन किया था जिसमें पूरे मामले में निषाद समाज के नेताओं ने प्रशासन और सरकार पर घटना के लिए जमकर भड़ास निकाली थी. संघ से जुड़े निषाद समाज के एक नेता ने कहा कि निषाद समाज बीजेपी के साथ है. काफी देर की पंचायत और बीच बचाव के बाद मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने और सांसद रीता जोशी ने सरकार की ओर से नाव की मरम्मत करवाने के अलावा पूरे मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे.
ये जांच 10 दिन में पूरी होने के बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का भी योगी सरकार की तरफ से आश्वासन दिया था. कार्यक्रम के दौरान निषाद समाज और भगवान राम के संबंधों की बात भी उठी थी. बीजेपी नेता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा था कि जिस निषाद समाज ने भगवान राम को गंगा पार कराई वो निषाद समाज हमारे लिए हमेशा से सम्मान का पात्र रहा है उसके सम्मान से किसी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नही किया जाएगा.
Source : News Nation Bureau