उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार खुद को किसानों की हितैषी बताने का दावा करती है. लेकिन हाल ही में जारी किए गए एक आदेश से गन्ना किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. गन्ना विभाग के द्वारा जारी किए गए फरमान के तहत अब उत्तर प्रदेश में एसएमएस पर्ची जारी होने के 72 घंटे बाद गन्ना खरीद पर रोक लगा दी गई है. इसके साथ ही सूखा गन्ना मिलने पर किसान का सट्टा भी बंद करने के निर्देश दिए गए हैं. योगी सरकार के इस फरमान से गरीब गन्ना किसानों के साथ आरएलडी, भाकियू और कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर की है.
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उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सरकार किसान विरोधी है. उन्होंने कहा कि गन्ना विभाग ने गन्ना माफियाओं को लाभ पहुंचाने की सोची-समझी रणनीति के तहत यह निर्देश जारी किया है. उन्होंने कहा कि सरकार यह बात अच्छे से जानती है कि न तो हर किसान पढ़ा लिखा है और न ही हर किसान के पास मोबाइल है. न ही हर किसान के पास यह सुविधा है कि वह एसएमएस पर्ची मिलते ही अपने गन्ने की कटाई कर उसे 72 घंटे में गन्ना क्रय केंद्र पर पहुंचा दे.
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अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कोई भी किसान अपने लाभ के कारण गन्ना सूखा नहीं देना चाहता. लेकिन कई बार पैसे और संसाधन की कमी के कारण गन्ना क्रय केंद्रों तक नहीं पहुंच पाता. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर योगी सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक प्रदर्शन करेगी.
वहीं इस मामले में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा ने कहा कि सरकार ने बीते तीन सालों में गन्ने का दाम नहीं बढ़ाया. साथ ही अपने वायदे के मुताबिक गन्ने का 14 दिन में भुगतान तो दूर पिछले साल का बकाया भी नहीं किया. गन्ना विभाग अपनी नाकामी छिपाने के लिए एसएमएस पर्ची जारी होने के 72 घंटे बाद गन्ना न खरीदने का निर्देश जारी कर किसानों का शोष करने में लगा है.
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वहीं राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दूबे का कहना है कि सराकर गन्ना किसानों के लिए रोज नए-नए एप लान्च कर रही है. लेकिन अब उन एप पर गन्ना विभाग खुद भी भरोसा नहीं कर रहा और एसएमएस भेज रहा है. नया आदेश किसानों का शोषण करने के लिए है जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
Source : News Nation Bureau