देशभर में महामारी कोरोनावायरस (Coornavirus) से हाहाकार मचा हुआ है. कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. योगी सरकार ने सभी निजी और सरकारी कंपनियों को कोरोना पीड़ितों को 28 दिन की पेड लीव देने का आदेश दिया है. इस फैसले से कोरोना संक्रमित पीड़ितों को एक बड़ी राहत मिली है. राज्य सरकार ने इसे लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. इस नोटिफिकेशन के मुताबिक, किसी दुकान या कंपनी में 10 से ज्यादा लोग काम करते हैं, उन्हें कोविड के बचाव के तरीके मेन गेट पर डिसप्ले करने होंगे. इसके साथ ही कोरोना से बीमार सभी लोगों को 28 दिन की पेड लीव देनी होगी. जो भी दुकानें या फैक्ट्रियां सरकारी आदेश से बंद हुई है, उनके कर्मचारियों को छुट्टी के साथ वेतन-भत्ते भी देने होंगे.
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वहीं बता दें कि भारत ने कोरोनावायरस पर काबू पाने के लिए अब 18 साल से ऊपर की उम्र वाले सभी लोगों को वैक्सीन की डोज देने का फैसला किया है. सरकार के इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को मुफ्त में कोरोना वैक्सीन देने का निर्णय लिया है. मंगलवार देर रात हुई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली वर्चुअल कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया.
आदित्यनाथ ने ट्वीट किया, "कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उत्तर प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को कोरोनावायरस का नि: शुल्क टीकाकरण किया जाएगा .. कोरोनोवायरस की हार होगी और भारत की जीत." देश की सबसे अधिक आबादी वाले राज्य राज्य उत्तर प्रदेश में इस कार्य को करने का जिम्मा स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपा गया है.
मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा, "हमें टीकाकरण केंद्रों को बढ़ाना है और तय आयु वर्ग के लोगों का डेटाबेस तैयार करना है." सोमवार को केंद्र सरकार ने कहा था कि 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को 1 मई से कोरोना का टीका दिया जाएगा.
वर्तमान में केवल 45 से अधिक आयु के लोगों को टीका लगाया जा रहा था. टीके की कमी को लेकर आलोचना का सामना कर रही केंद्र सरकार ने कहा था कि राज्य अब निमार्ताओं से सीधे खुराक खरीद सकते हैं.
दो लाख से अधिक सक्रिय कोरोना वायरस के मामलों के साथ उत्तर प्रदेश भारत का दूसरा सबसे प्रभावित राज्य बन गया है. 918 नए मामलें सामने आने के बाद से 31 मार्च से कोरोना मामलों में भयावह बढ़ोतरी देखी गई.मंगलवार को लगभग 30,000 नए कोरोना मामलों का पता चला है.
राज्य में नए मामलों में लगातार हो रहे उछाल से पहले ही चरमरा रहे स्वास्थ्य ढांचे पर और दबाव बढ़ा दिया है अब बड़े शहरों में भी अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं है और दूसरी चिंता का विषय ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होना है.