उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस महामारी की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है. जहां कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है तो मौतों की संख्या भी अब डरा रही है. इस बीच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर कोरोना की दूसरी लहर आफतों का पहाड़ बनकर टूट पड़ी है. यूनिवर्सिटी में कोरोना कहर बरपा रहा है. बानगी यह है कि बीते दो हफ्तों के भीतर यूनिवर्सिटी के 18 से अधिक प्रोफसरों की कोरोना वायरस की वजह मौत हो गई है. जबकि इसके अलावा एएमयू के मौजूदा कर्मचारी और रिटायर्ड कर्मचारियों का आंकड़ा जोड़ा जाए तो यहां इस घातक वायरस में मरने वालों की संख्या 40 के ऊपर पहुंच चुकी है.
यह भी पढ़ें : LIVE: उत्तर प्रदेश में फिर बढ़ा लॉकडाउन, अब 17 मई तक लागू रहेंगी पाबंदियां
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विधि संकाय के डीन प्रोफेसर शकील अहमद समदानी का शनिवार को कोरोना वायरस संक्रमण के चलते निधन हो गया. वह पिछले कई दिनों से जेएन मेडिकल कॉलेज में उपचाराधीन थे. उनकी हालत लगातार गंभीर बनी हुई थी. एक दिन पहले शुक्रवार को लॉ फैकल्टी के पूर्व डीन और कार्यवाहक कुलपति रहे प्रोफेसर शब्बीर अहमद का निधन हुआ था. साथ ही एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन फैकल्टी के चेयरमैन प्रोफेसर शादाब खान की भी कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मौत हो गई थी. शिक्षकों के लगातार हो रहे निधन से विश्वविद्यालय समुदाय स्तब्ध है. इन मौतों के बाद एएमयू के हालातों को लेकर चिंताएं और भी ज्यादा बढ़ गईं. इससे एएमयू इंतजामिया भी चिंतित है.
दुनिया छोड़ चुके इन शिक्षकों की सूची तैयार की है. इनमें पूर्व प्राक्टर प्रो. जमशेद, सिद्ददीकी, सुन्नी थियोलोजी डिपार्टमेंट के प्रो. एहसानउल्लाह फहद, उर्दू विभाग के प्रो. मौलाना बख्श अंसारी, पोस्ट हार्वेस्टिंग इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो. मो. अली खान, राजनीतिक विज्ञान विभाग के प्रो. काजी,मोहम्मद जमशेद, मोलीजात विभाग के चेयरमैन प्रो. मो. यूनुस सिद्ददीकी, इलमुल अदविया विभाग के चेयरमैन गुफराम अहमद, मनोविज्ञान विभाग के चेयरमैन प्रो. साजिद अली खान, म्यूजियोलोजी विभाग के चेयरमैन डा. मोहम्मद इरफान, सेंटर फोर वीमेंस स्टडीज के डा. अजीज फैसल, यूनिवर्सिटी पालिटेक्निक के मोहम्मद सैयदुज्जमान, इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर जिबरैल, संस्कृत विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रो. खालिद बिन यूसुफ और अंग्रेजी विभाग के डा. मोहम्मद यूसुफ अंसारी शामिल हैं.
यह भी पढ़ें : ऑक्सीजन प्लांट से लेकर दवाएं और मास्क तक...दिल्ली को मिला विदेशों से आई मदद का बड़ा हिस्सा
अगर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष फैजल हसन की मानें तो यूनिवर्सिटी में बीते 20-25 दिनों में दो दर्जन से अधिक प्रोफेसरान की मौत हुई है और लगातार अभी भी मौत का तांडव जारी है. उनका कहना है कि जिस यूनिवर्सिटी के जेएन मेडिकल कॉलेज में किसी चीज की कमी न हो, वहां पर मौत का इस तरह से हावी होना कहीं न कहीं मेडिकल नेगलिजेंस का नतीजा है. प्रोफेसर किसी भी यूनिवर्सिटी की रीढ़ की हड्डी होता है और उसके साथ ऐसा होना कहीं न कहीं सवालिया निशान खड़ा कर रहा है. उन्होंने कहा कि मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ सरकार से दरख्वास्त कर रहा हूं कि इस पर एक हाई लेवल इन्क्वायरी बैठाये और जो भी इस कांड में शामिल हो उसे सख्त से सख्त सजा दें, जिससे किसी को भी मेडिकल सुख सुविधा से वंचित न किया जाये.
अब लाहरवाही किसी की भी हो, लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के 100 साल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब यूनिवर्सिटी से जुड़े इतनी संख्या में शिक्षकों की जान गई हो. यूनिवर्सिटी के लिए यह बहुत खराब दौर है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब यूनिवर्सिटी से जुड़े लोगों की इतनी तादात में मौत हुई हो. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज में बड़ी संख्या में एएमयू से जुड़े लोगों का इलाज चल रहा है. इनमें ओएसडी प्रो. अफसर अली, प्रो. शुएब जहीर, प्रो. शादाब अहमद खान, प्रो. जाहिद, प्रो.अबू कमर, प्रो. एहतिशाम भी शामिल हैं. इनके अलावा कई का घर इलाज चल रहा है, कुछ निजी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कोरोना का कहर
- दो हफ्ते में करीब 18 प्रोफेसर गंवा चुके हैं जान
- मौजूदा और रिटायर्ड कर्मचारी भी चपेट में आए