देशभर में महामारी कोरोनावायरस (Coronavirus) ने एक बार फिर त्राहीमाम मचा दिया है. कई राज्यों में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू (Night Curfew) और लॉकडाउन (Corona Lockdown) लगा दिया गया है. वहीं उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भी कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए योगी सरकार (Yogi Government) ने बड़ा फैसला लिया है. सीएम योगी ने आदेश दिया है कि राज्य में सभी स्कूलों (Schools) को अभी कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया जाए. योगी सरकार ने सभी सरकारी/गैर सरकारी कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों को 11 अप्रैल तक बंद करने का निर्देश दिया हैं.
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर टीम (टीम-11) के साथ कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की. बैठक में चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के साथ मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी तथा पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी भी अन्य अधिकारियों के साथ मौजूद रहे. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि इस दौरान शिक्षकों का स्कूलों में आना अनिवार्य होगा.
उन्होंने कहा कि, "सभी जिलों में अधिकारी तय करें कि कक्षा 9 से 12 तक की शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के स्कूल में आगमन के दौरान स्कूलों में कोविड प्रोटोकल का सख्ती से पालन हो. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने में जरा भी संकोच न करें."
होली के त्योहार के बाद राज्य सरकार ने कक्षा आठ तक के सभी स्कूलों में चार अप्रैल तक अवकाश घोषित किया था. अब इस अवधि को 11 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है. प्रदेश में कोरोना संक्रमण के फिर से बढ़ते मामलों ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
योगी ने अपने आवास पर समीक्षा बैठक में कहा कि कोरोना वायरस के हर संदिग्ध मामलों में आरटी-पीसीआर जांच अनिवार्य रूप से किया जाए. उन्होंने कहा कि समूहों में संचालित संस्थानों, बालिका संरक्षण गृह, वृद्घाश्रम, अनाथाश्रम आदि में टेस्टिंग प्राथमिकता पर की जाए. सीएम योगी आदित्यनाथ ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी समितियों को भी पूरी तरह से सक्रिय करने के निर्देश दिए हैं. संक्रमण की निगरानी के लिए मुख्यमंत्री ने हर वार्ड और गांव में निगरानी समिति के गठन के भी निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना से बचाव के संबंध में लगातार लोगों को जागरूक करने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जाए.
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वहीं बता दें कि कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण लखनऊ में अब मंदिरों में घंटियां बजाने पर भी रोक लगा दी गई है. भक्तों को घंटियों को छूने से रोकने के लिए अधिकांश मंदिरों में घंटियों पर कपड़े बांध दिए गए हैं. इसके अलावा मंदिरों में कोरोना प्रोटोकॉल को लेकर भी सख्ती बरती जा रही है. प्रसिद्ध हनुमान सेतु मंदिर में भक्तों के गर्भगृह में प्रवेश करने पर भी रोक लगा दी गई है. साथ ही उन लोगों को ही भगवान के सामने प्रसाद चढ़ाने दिया जा रहा है, जो मास्क लगाए हुए हैं. मुख्य पुजारी चंद्रकांत द्विवेदी ने कहा कि कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए अधिकांश पुजारियों को छुट्टी पर घर भेज दिया गया है.
वहीं मनकामेश्वर मंदिर में घंटी बजाने पर रोक लगाने के साथ-साथ 10 साल से कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गो के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है. राजधानी के राजेंद्र नगर स्थित महाकालेश्वर मंदिर ने भक्तों के प्रसाद चढ़ाने पर भी रोक लगा दी है.
गौरतलब है कि गुरुवार रात तक लखनऊ में कोरोनावायरस के 935 नए मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इस घातक वायरस के प्रसार की जांच के लिए कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. एक और चिंताजनक बात यह है कि बीते 4 महीनों में पहली बार शहर में सक्रिय मामलों की संख्या 3,900 को पार पार कर गई. वहीं अन्य जिलों में दर्ज हुए नए मामलों की संख्या 2,600 रही.
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स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि जनवरी के बाद लोगों द्वारा सार्वजनिक व्यवहार के दौरान नियमों के पालन में बरती गई ढिलाई और अगस्त-सितंबर के पीक महीनों के दौरान विकसित हुई हर्ड इम्युनिटी में गिरावट इसके लिए जिम्मेदार है.
स्थिति को देखते हुए लखनऊ जिला प्रशासन ने कोविड नियमों का उल्लंघन करने पर महामारी अधिनियम के तहत एक प्रमुख मॉल को सील कर दिया है. साथ ही गोमती नगर क्षेत्र के फन रिपब्लिक मॉल को नियमों का उल्लंघन करने के लिए नोटिस जारी किया है. साथ ही प्रशासन ने लाइसेंस रद्द करने की धमकी भी दी है. जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक प्रकाश ने कहा है कि सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इस बीच गुरुवार को 13 न्यायिक अधिकारियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद लखनऊ में जिला अदालत और अन्य सभी अदालतों को 3 दिनों के लिए बंद कर दिया है. साथ ही राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को ऑनलाइन मोड में कक्षाएं संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं.