वाराणसी कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को हटा दिया है. बाकी दो कोर्ट कमिश्नर बने रहेंगे. वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट सौंपने के लिए दो दिन का समय दिया है. कोर्ट कमिश्नर ने कमीशन की रिपोर्ट को सबमिट करने के लिए समय मांगा था. इसके साथ ही अदालत में सील किये हुए जगह पर नमाज़ियों के लिए लगे पानी के पाइप को दूसरी जगह लगाने, तालाब में जिंदा मछलियों और नमाज़ियों के लिए शौचालय का इंतज़ाम करने पर कल सुनवाई होगी. महिला वादी की ओर से वर्तमान में काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित बड़ी नंदी के ठीक सामने बंद दीवार को तोड़ कर आने जाने का रास्ता और जहां शिवलिंग मिला है उस जगह पूजा की इज़ाज़त और जो जगह कमीशन के कार्य से छूट गए है इस पर सुनवाई कल होगी.
सुनवाई के समय कोर्ट में वादी-प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं के साथ ही तीनों एडवोकेट कमिश्नर और डीजीसी सिविल मौजूद रहे. डीजीसी सिविल, एडवोकेट कमिश्नर और वादी पक्ष की महिलाओं के तीन अलग-अलग प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई है.
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ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट आज सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पेश नहीं हो सकी. अभी तक रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है. इसके पीछे की वजह 15 घंटे की वीडियोग्राफी और करीब 1500 फोटो बताई जा रही है. यह डाटा इतना ज्यादा है कि इसकी फाइल अभी नहीं बनाई जा सकी है. इसके लिए दो और दिन मांगे गए हैं. स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर और समय मांगा है. इसकी सुनवाई पूरी हो गई है. फैसला 4 बजे आएगा.
ज्ञानवापी मामले में UP सरकार की ओर से वाराणसी कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है. DGC सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है. उन्होंने तीन मांगें की हैं.
पहला, ज्ञानवापी मस्जिद स्थित जिस 3 फीट गहरे मानव निर्मित तालाब को सीज किया गया है, उसके चारों तरफ पाइप लाइन और नल हैं. उस नल का उपयोग नमाजी वजू के लिए करते हैं. तालाब परिसर सील होने के कारण नमाजियों के वजू के लिए बाहर व्यवस्था की जाए.
दूसरा, ज्ञानवापी के सील हुए क्षेत्र में शौचालय भी हैं, उनका उपयोग नमाजी करते हैं. अब उन्हें वहां नहीं जानें दिया जा रहा है, ऐसे में उनकी व्यवस्था की जाए. तीसरा, सील किए गए तालाब में कुछ मछलियां भी हैं. ऐसे में उन्हें खाने की चीजें नहीं मिल पा रही हैं. उन मछलियों को अब कहीं और पानी में छोड़ा जाए.