यूपी में कोरोना के बेकाबू मामलों के बीच 2 मई को होने वाली पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) की मतगणना (Counting) पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. प्राथमिक शिक्षक महासंघ ने राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शिक्षक महासंघ की मांग है कि 2 मई को होने वाली मतगणना को कम से कम दो महीने आगे बढ़ाया जाए. संघ ने साफ कह दिया है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो मतगणना ड्यूटी में लगे शिक्षक इसका खुला बहिष्कार करेंगे. कोई अव्यवस्था हुई तो उसकी जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग की होगी.
यूपी के शिक्षक- कर्मचारी संगठनों का दावा है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी के कारण संक्रमण से 1500 से अधिक शिक्षकों-कर्मचारियों की जान चली गई है. बड़ी संख्या में परिवारीजनों की मौत हो गई और अब भी कई संक्रमित हैं. राज्य निर्वाचन आयोग कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने और कर्मचारियों की सुरक्षा करने में विफल रहा है. ऐसे सभी शिक्षक-कर्मचारी 2 मई को होने वाली पंचायत चुनाव की मतगणना का बहिष्कार करेंगे.
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शिक्षक महासंघ ने आरोप लगाया कि ट्रेनिंग से लेकर पोलिंग तक राज्य निर्वाचन आयोग ने कोरोना गाइडलाइन का कहीं भी पालन नहीं कराया, जिससे हालात भयावह हो गए. महासंघ ने एक लिस्ट भी जारी की. शिक्षक नेताओं के अनुसार 12 अप्रैल को ही संघ ने आयोग से अनुरोध किया था कि निर्वाचन से पहले कोविड से बचाव की गाइडलाइन का पालन किया जाए लेकिन इसको लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए. शिक्षक-कर्मचारियों को बिना सुरक्षा उपायों के महामारी के समय मतदान कराने के लिए भेजा गया, जिससे बड़ी संख्या में शिक्षक और कर्मचारी संक्रमित हो गए.
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2 महीने बाद परिणाम आने से क्या है तकलीफ?
शिक्षक महासंघ और कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी, पेंशनर्स अधिकार मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने न्यूज़ 18 से बातचीत में कहा, '2 मई को होने वाली मतगणना को शिक्षकों और कर्मचारियों में डर है. निर्वाचन आयोग ने शुरुआत से हम लोगों की नहीं सुनी और अब भी नहीं सुन रहा है. ऐसे में हमारे सामने क्या विकल्प बचता है? पंचायत चुनाव करा ही लिए गए हैं, ऐसे में अगर रिजल्ट 2 महीने बाद भी आ जाएं तो क्या नुकसान है इसमें?'