बहुचर्चित राजा मानसिंह हत्याकांड का 35 साल बाद आज फैसला आ गया. मथुरा के जिला एंव सेशन न्यायालय ने फैसला सुनाया है. 11 आरोपियों को 302 के तहत सजा मिली है. तात्कालीन डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 11 आरोपियों को सजा सुनाई गई है. बता दें कि 21 फरवरी 1985 को राजा मानसिंह की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गयी थी. जब वह चुनाव प्रचार के दौरान डीग अनाज मंडी में थे. इस फर्जी एनकाउंटर मामले के मुख्य आरोपी डीएसपी कान सिंह भाटी समेत 17 पुलिसवाले आरोपी थे. एनकाउंटर से एक दिन पूर्व राजा मान सिंह पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के हेलीकॉप्टर तथा मंच को अपने जोगा गाड़ी से तोड़ने का आरोप लगा था. इसके लिए राजा मानसिंह के खिलाफ दो अलग-अलग मुक़दमे भी कायम हुए थे.
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17 अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र सीबीआई ने दाखिल किया था
घटना के वक्त राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और शिव चरण माथुर मुख्यमंत्री थे. इस मामले में डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 17 अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र सीबीआई ने दाखिल किया था. इस मामले की सुनवाई मथुरा के जिला एवं सत्र न्यायालय में चल रही है. पुलिस के अनुसार यदि घटनाक्रम की बात करें तो इस हत्याकांड से पूर्व राजा मानसिंह ने अपने जोंगे गाड़ी से मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर व चुनावी सभा के मंच को टक्कर मारी थी. उसके संबंध में दो अलग-अलग मुकदमे 307 में राजा मानसिंह उनके साथियों के विरुद्ध दर्ज हुए थे. 21 तारीख को पुलिस को सूचना मिली कि राजा मानसिंह आज फिर किसी वारदात को अंजाम देने वाले हैं.
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अनाज मंडी में राजा मानसिंह से पुलिसकर्मियों का आमना सामना हो गया
इस सूचना पर सीओ डीग कान सिंह भाटी और तत्कालीन थानाध्यक्ष धीरेंद्र सिंह अन्य पुलिसकर्मी को लेकर राजा मानसिंह की गिरफ्तारी के लिए चले और अनाज मंडी में राजा मानसिंह से पुलिसकर्मियों का आमना सामना हो गया. सीओ कान सिंह भाटी ने राजा को रुकने का इशारा किया, लेकिन राजा और पुलिस की भिड़ंत हो गयी. पुलिस के अनुसार आत्मरक्षा में गोली चलाई जिसमें राजा मान सिंह और उनके दो साथी सुमेर सिंह और हरि सिंह घायल हुए और तीनों लोगों की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई.