चिकित्सा स्वास्थ्य कार्यालय के महानिदेशक (डीजी) ने एक निर्देश जारी कर कहा है कि उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों से जुड़े डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की छुट्टी मंजूर नहीं की जानी चाहिए. ऐसा डेंगू के प्रकोप और आने वाले त्योहारी सीजन को देखते हुए किया गया है. डीजी द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, अतिरिक्त निदेशकों और सभी सरकारी अस्पतालों के प्रमुखों को भेजे गए एक पत्र में कहा गया है, डेंगू के मामलों और आगामी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए, डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को छुट्टी की अनुमति तब तक नहीं दी जानी चाहिए जब तक कि परिस्थितियां अपरिहार्य न हों.
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जिनके पास स्वास्थ्य विभाग भी है, ने स्वास्थ्य अधिकारियों से बुखार की शिकायत करने वाले रोगियों को संभालने के लिए डेस्क स्थापित करने को कहा है. उन्होंने कहा, बुखार के मामलों पर अलग से ध्यान दिया जाना चाहिए. ऐसे मरीजों को लंबी कतारों में नहीं लगना चाहिए.
मंत्री ने अधिकारियों को बुखार के मामलों के लिए आसान पंजीकरण और जांच की सुविधा प्रदान करने और ऐसे रोगियों को जरूरत के अनुसार सात से 15 दिनों की दवाएं उपलब्ध कराने को कहा.
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में पिछले साल की तुलना में इस साल डेंगू के मामले कम दर्ज किए जा रहे हैं. उन्होंने निर्देश दिया, अस्पतालों में डेंगू के मामलों के लिए बिस्तर आरक्षित हैं. मच्छर जनित बीमारी को फैलने से रोकने के लिए सभी उपाय किए जाने चाहिए.
इससे पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय टीम को फिरोजाबाद, आगरा और इटावा जिलों में डेंगू प्रबंधन के संबंध में उपाय करने के लिए उत्तर प्रदेश भेजा गया था. केंद्र की टीम डेंगू के मामलों की जांच के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय करने में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ सहयोग कर रही है.
केन्द्र सरकार की ओर से डॉ. वीके चौधरी के नेतृत्व में छह सदस्यों की टीम उत्तरप्रदेश डेंगु की समीक्षा और सहायता के लिए गयी थी.
Source : IANS