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आगरा में दिव्यागों ने बनवा लिए ड्राइविंग लाइसेंस, किसी की आंख खराब तो कोई हाथ-पैर से है अक्षम

आगरा में घर बैठे प्रशिक्षु लाइसेंस बनवाने की सुविधा का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसमें दिव्यांगों ने भी अपने लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिए. स्थायी लाइसेंस के लिए आवेदन करने आने पर इसका खुलासा हुआ

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Mohit Sharma
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Agra News

Agra News ( Photo Credit : FILE PIC)

आगरा में घर बैठे प्रशिक्षु लाइसेंस बनवाने की सुविधा का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसमें दिव्यांगों ने भी अपने लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिए. स्थायी लाइसेंस के लिए आवेदन करने आने पर इसका खुलासा हुआ. पिछेल एक सप्ताह में ऐसे तीन मामले सामने आने पर आरटीओ आगरा ने तीनों लाइसेंस निरस्त कर जांच अन्य लाइसेंसों की जांच की बात कही. आगरा में परिवहन विभाग ने आरटीओ में लोगों को दलालों के चंगुल से बचाने के लिए फेसलेस लर्निंग लाइसेंस की व्यवस्था जनवरी 2022 में शुरू की थी. इसमें आवेदक को सारथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करने के बाद ऑनलाइन टेस्ट देना होता है. इसमें कार्यालय में आने की जरूरत नहीं होता है. दस्तावेजों की स्क्रूटनी भी ऑनलाइन होती है. इसमें टेस्ट के दौरान आवेदक का केवल चेहरा ही दिखाई देता है, कहीं दिव्यांगता नजर नहीं आती है. इसका फायदा उठाकर कुछ दिव्यांगों ने भी अपने लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिए हैं. अभी तक आरटीओ के लाइसेंस पटल के कर्मचारियों के सामने ऐसे तीन मामले सामने आए हैं. जिनके लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्यवाही की गई है.

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एक नजर डालते हैं उन मामलों पर जो अब तक प्रकाश में आये

रायभा, अछनेरा के वेदपाल ने एक अप्रैल को फेसलेस माध्यम से लर्निंग लाइसेंस बनवाया था. एक जुलाई को वह स्थायी लाइसेंस के लिए पुलिस लाइन में टेस्ट देने पहुंचे तो वह पैरों से विकलांग थे. इस पर लाइसेंस को निरस्त किया गया।  मलपुरा के राकेश की एक आंख खराब थी. उनका भी लर्निंग लाइसेंस बन गया. इसी तरह पिनाहट के बाबू के दोनों हाथों में विकलांगता पाई गई. इन सभी के लाइसेंस निरस्त किए गए.

मामले प्रकाश मैं आने के बाद आरटीओ अधिकारियों का कहना है कि दिव्यांगों के लर्निंग लाइसेंस बनवाने के मामले की जानकारी मिली है. ऐसे लाइसेंस तुरंत निरस्त किए जाते हैं. यह सॉफ्टवेयर की खामी है। इसमें मेडिकल सर्टिफिकेट लगाने की व्यवस्था भी होनी चाहिए. या फिर कोई वीडियो अपलोड की सुविधा हो ताकि अभ्यर्थी का विवरण मिल सके.अब इन प्रकरण के सामने आने के बाद कोशिश की जाएगी कि सॉफ्टवेयर में एनआईसी द्वारा कुछ बदलाव किए जाएं. साथ ही वो अपात्रो को भी सूचित करते हैं कि ऐसा न करें अन्यथा कानूनी विधिक कार्यवाही की जा सकती है.

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Source : Vineet Dubey

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