प्रयागराज के सरकारी स्वरूपरानी नेहरू हास्पिटल के धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की घोर लापरवाही सामने आई हैं. डॉक्टरों का क्रूर बर्ताव जो मानवता को ही शर्मसार कर रहा है. 14 साल के राजन का आंत का ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टरों ने पैसे न देने पर मरीज का इलाज करने से मना कर दिया है. जिसके बाद से राजन घर में ही पड़ा है, जो पिछले चार दिनों से कुछ भी नहीं खा पा रहा है, क्योंकि पेट के आंत को काटकर बाहर थैली में रख दिया गया है. मां के सिवा उसका कोई और नहीं है.
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मासूम राजन इलाज के अभाव में जिंदगी और मौत से लड़ रहा है तो वहीं पीड़ित मासूम ने पीएम मोदी और सीएम योगी से इलाज के लिए गुहार लगाई है. पिता के होने के बावजूद राजन के सिर पर पिता का साया नहीं है. 2014 में पिता सुधीर सोनी ने राजन की मां को बिना बताए दूसरी शादी करके अपने को अलग कर लिया. उसके बाद से घर की पूरी जिम्मेदारी मां सविता गुप्ता अकेले ही उठा रही है. बेटे को सरकारी हास्पिटल में इस उम्मीद से भर्ती कराया था कि सरकार बदली है और सिस्टम भी बदला होगा, लेकिन सरकार तो बदली मगर सिस्टम आज भी नहीं बदला.
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आरोप है कि 18 दिनों के इलाज में डॉक्टरों ने बाहर से ही दवा लिखीं. डेढ़ लाख रुपये खर्च हो गए हैं और 60 हजार का कर्जा ब्याज पर अलग बन गया है. अब राजन की मां के पास पैसे नहीं थे, इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें मजबूरन हास्पिटल से घर जाने को कहा है. पास पड़ोस के लोगों ने भी सौ पांच सौ देकर मदद की, लेकिन अब बच्चे की हालत नाजुक बनी है. पिछले चार दिनों से डायलेट का रास्ता बंद हो जाने से बुरा हाल है. इससे ही इस बात का अंदाज लगाया जा सकता है कि सरकारी हॉस्पिटलों को डॉक्टर अपनी जागीर समझते हैं. हैरान और परेशान मरीज यूं ही धक्के खाते रहते हैं. स्वरूपरानी नेहरू हास्पिटल मंडल का हास्पिटल होने के नाते कौशांबी, प्रतापगढ़ और आसपास से सटे जनपदों के मरीज रोज आते हैं. चार चार मंत्रियों का शहर होने के बावजूद यहां पर व्यवस्था आज भी राम भरोसे है तो अन्य जनपदों के स्वास्थ्य महकमे का हाल कैसा होगा वो किसी से छीपा नहीं है.
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