उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की ओर से प्रस्तावित सर्वे का कार्य पूरे प्रदेश में चल रहा है़। अभी किसी भी प्रकार का कोई भी रिकॉर्ड बाहर नहीं आ सका है. लेकिन बहुत सारे दूरदर्शी महानुभावों ने अफवाहों का बाजार गर्म कर दिया है। यह बातें उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने जारी एक बयान में कही। डॉ. जावेद ने कहा कि वैध मदरसों, अवैध मदरसों व फर्जी मदरसों जैसे शब्दों का खाका खींच कर पूरी चार्ट बना दी जा रही है़ जबकि मैं पहले दिन से इस बात को कह रहा हूँ कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या का हम लोगों के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है़ फिर कैसे कितने मदरसे फ़र्जी निकल जा रहे हैं यह समझ से परे हैं।
डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने आगे कहा कि सन् 2018 में जब पोर्टल पर मदरसों का रिकॉर्ड लाया गया उस समय तकरीबन 2500 मान्यता प्राप्त मदरसे कम हो गए थे। अभी हो रहे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे से उन 2500 का दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है़। सर्वे का काम पूरे उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में चल रहा है़ लेकिन अभी तक कोई भी जानकारी ना तो शासन के पास है़ और ना ही मदरसा बोर्ड तक पहुंच पाई है़। 5 अक्टूबर तक सर्वे का काम चलना है़ और 25 अक्टूबर तक जिलाधिकारी द्वारा शासन को रिपोर्ट भेजा जाएगा लेकिन अभी से ही सही और ग़लत मदरसों का रिकॉर्ड पता नहीं किस जादू की छड़ी से लोगों को प्राप्त हो रहे हैं। मदरसा बोर्ड ने मदरसों के सर्वे के पीछे केवल यह जानने की कोशिश की है़ कि जो मदरसे हमारे बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है, उनकी हकीकत कैसी है, किस सन् में मदरसा बना, संस्था का नाम, उनकी बिल्डिंग कैसी है़, बिजली-पानी-फर्नीचर आदि की व्यवस्था कैसी है, कितने बच्चे पढ़ रहे हैं, कितने शिक्षक हैं, कौन सा पाठ्यक्रम पढ़ रहे हैं, उन बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसे का इंतजाम कहां से हो रहा है, क्या किसी गैर सरकारी संस्था से संबद्धता है़ जैसी बातों की जानकारी जुटाना लक्ष्य है।
यह एक साधारण सा सर्वे है़ इसमें किसी भी प्रकार की कोई भी जांच नहीं हो रही है़। डॉ. जावेद ने कहा कि सर्वे केवल और केवल गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के ही होने हैं जिनका कोई भी रिकॉर्ड शासन अथवा मदरसा बोर्ड के पास नहीं है़। गौरतलब है कि प्रदेश में मदरसा बोर्ड से 16,513 मदरसे मान्यता प्राप्त है जिनमें से 560 मदरसों को सरकार अनुदान देती है। मदरसा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे से दूर-दूर तक कोई मतलब नहीं है। डॉ. जावेद ने कहा कि मैं समाज के सभी बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, समाजसेवियों व राजनीतिज्ञों समेत सभी महानुभावों से अपील करता हूं कि बच्चों की शिक्षा से जुड़े विषय पर ऐसी कोई बातें ना करें जिससे एक साधारण से सर्वे को संपन्न कराने में किसी किस्म की बाधा उत्पन्न हो। स्कूलों, कॉलेजों व विश्विद्यालयों के सर्वे अक्सर होते रहते हैं पहली बार मदरसा बोर्ड द्वारा मदरसों का सर्वे हो रहा है। उत्सुकता का होना स्वाभाविक है लेकिन गलत सोच को पैदा करने से बच्चों के भविष्य के साथ मज़ाक हो जाएगा क्योंकि यह सर्वविदित है कि मदरसों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे देश और समाज के अंतिम स्थान पर खड़े गरीब, कमज़ोर व लाचार घरों के होते हैं। जिन्हें कहीं प्रवेश नहीं मिल पाता है़ वो समाज के चंदे और जकात के पैसों से चलने वाले मदरसों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इस तरह की ग़लत अफवाहों से उनकी शिक्षा व्यवस्था पर व्यापक असर पड़ रहा है़।
Source : Alok Pandey