इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया है. जेल से छूटने के बाद डॉ कफील ने यूपी की योगी सरकार पर हमला किया है.उन्होंने राज्य सरकार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. कफील ने कहा, 'मैं जुडिशरी का बहुत शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने इतना अच्छा ऑर्डर दिया है. सभी 138 करोड़ देशवासियों का धन्यवाद और उन लोगों का धन्यवाद जिन्होंने संघर्ष में मेरा साथ दिया.'
कफील ने आगे कहा, 'आदेश में उन्होंने लिखा है उत्तर प्रदेश सरकार ने एक झूठा बेसलेस केस मेरे ऊपर थोपा. बिना बात के ड्रामा करके केस बनाए गए और 8 महीने तक इस जेल में रखा. इस जेल में मुझे पांच दिन तक बिना खाना, बिना पानी दिए मुझे प्रताड़ित किया गया. मैं उत्तर प्रदेश के एसटीएफ को भी धन्यवाद दूंगा, जिन्होंने मुंबई से मथुरा लाते समय मुझे एनकाउंटर में मारा नहीं है.'
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बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए डॉक्टर कफील खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को तुरंत रिहाई का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने डॉ. कफील खान पर रासुका लगाने के डीएम अलीगढ़ के आदेश और उसके कन्फर्मेशन को भी रद्द कर दिया है. अदालत ने कहा कि रासुका के तहत गिरफ्तारी अवैध है. इस केस की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह थे. उन्होंने खान के खिलाफ रासुका (एनएसए) के आरोपों को रद्द कर दिया.
इससे पहले, 28 अगस्त को कफील खान मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) निरुद्घ करने के खिलाफ दायर याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. डॉ. खान पर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर भड़काऊ भाषण देने के मामले में रासुका के तहत कार्रवाई की गई थी. डॉ. कफील को रासुका में निरुद्घ किए जाने को लेकर चुनौती दी गई थी. कफील की मां नुजहत परवीन की ओर से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई थी.
सीएए को लेकर भड़काऊ बयानबाजी करने के लिए जिलाधिकारी अलीगढ़ ने 13 फ रवरी 2020 को कफील खान को रासुका में निरुद्घ करने का आदेश दिया था. यह अवधि दो बार बढ़ाई जा चुकी है. याचिका में निरूद्घि की वैधता को चुनौती दी गई है. हालांकि कफील खान को गोरखपुर के गुलहरिया थाने में दर्ज एक मुकदमे में 29 जनवरी 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था. जेल में रहते हुए रासुका तामील कराया गया है.
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याची ने डॉ. कफील खान की रासुका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने हाईकोर्ट को मूल पत्रावली भेजते हुए तय करने का आदेश दिया है. इस मामले में प्रदेश सरकार और याची के सीनियर वकील द्वारा पहले भी कई बार समय मांगा गया था.