वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की. जिसमें उन्होंने जीडीपी को 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण पर मायावती ने बीजेपी पर निशाना साधा है. मायावती ने ट्वीट करके कहा कि लोगों को हसीन सपने दिखाना परन्तु उस हिसाब से काम नहीं करना व भावनाएं भड़काकर राजनीतिक रोटी सेंकना बीजेपी की विशेषता रही है.
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आज पेश आर्थिक सर्वेक्षण भी प्रमाणित करता है कि गरीबी, बेरोजगारी, किसान आत्महत्या आदि की गंभीर समस्याओं के मामले में यह सरकार उदासीन व लापरवाह रही है. विकास दर की बडे़-बड़े दावों से देश के 130 करोड़ गरीबों, मजदूरों, किसानों, बेरोजगारों आदि का अबतक सही भला नहीं हो पाया है बल्कि इनकी दिन-प्रतिदिन की समस्याएं अनवरत गंभीर होती जा रही हैं जो अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है.
केवल कागजी दावों से जनता का हित व कल्याण कैसे संभव है?
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आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा 5.8 फीसदी रहा, जबकि संशोधित बजट अनुमान 3.4 फीसदी रहा था. आर्थिक सर्वेक्षण 2019 में भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने पर जोर दिया गया है.
विकास दर की बडे़-बड़े दावों से देश के 130 करोड़ गरीबों, मजदूरों, किसानों, बेरोजगारों आदि का अबतक सही भला नहीं हो पाया है बल्कि इनकी दिन-प्रतिदिन की समस्याएं अनवरत गंभीर होती जा रही हैं जो अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है। केवल कागजी दावों से जनता का हित व कल्याण कैसे संभव है?
— Mayawati (@Mayawati) July 4, 2019
इसके मुताबिक, 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लिए सालाना 8 फीसदी की ग्रोथ रेट बरकरार रखना जरूरी है. सर्वेक्षण के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अच्छी इकोनॉमिक ग्रोथ रहने का अनुमान है. अभी तक हाल के दौर में रही सुस्ती की वजह चुनाव रहे थे.
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आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 में यदि इकोनॉमिक ग्रोथ सुस्त रहती है तो राजस्व संग्रह को झटका लग सकता है. आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, 2018 के मध्य से रूरल वेज ग्रोथ बढ़ने लगी है.
HIGHLIGHTS
- मायावती ने कहा कि, भावनाएं भड़काकर बीजेपी करती है राजनीति
- किसानों और गरीबों की समस्याओं पर बनी हुई है उदासीन
- आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, इकोनॉमिक ग्रोथ को लग सकता है झटका