उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के कर्मचारी भविष्य निधि के कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को कामयाबी मिली है. इस मामले में ईओडब्ल्यू टीम ने दिल्ली के एक अकाउंटेंट ललित को गिरफ्तार किया है. इस घोटाले में यूपीपीसीएल के तत्कालीन वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी, ट्रस्ट सचिव पीके गुप्ता और पूर्व एमडी एपी मिश्र की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है. इसके अलावा पी. के. गुप्ता के बेटे अभिनव गुप्ता को भी पकड़ा गया था. अभिनव पर ब्रोकरेज फर्मों के साथ मध्यस्थता करने का आरोप लगा था.
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दरअसल, शासन में बैठे अधिकारियों ने बिजली कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई को एक विवादास्पद कंपनी, दीवान हाउसिंग फायनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के हवाले कर दिया था. करीब 2600 करोड़ रुपये इस कंपनी में निवेश किए जाने से कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो गया. घोटाले के खुलासे के बाद हजारों कर्मचारियों और मजदूर यूनियनों की ओर से जिम्मेदार नौकरशाहों पर कार्रवाई का सरकार पर दबाव बनाया गया. ईओडब्ल्यू द्वारा जब्त दस्तावेजों के अनुसार, यूपी काडर के वरिष्ठ आईएएएस अधिकारी और तत्कालीन अतिरिक्त सचिव (ऊर्जा) और विद्युत निगम लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के अध्यक्ष संजय अग्रवाल इंप्लाईस ट्रस्ट का नेतृत्व कर रहे थे, जिसमें घोटाला हुआ.
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ईपीएफ घोटाले की गाज प्रमुख सचिव आलोक कुमार पर भी गिरी. उन्हें ऊर्जा विभाग से हटाकर अवस्थापना विभाग भेज दिया गया. हालांकि संजय अग्रवाल और आलोक कुमार ने डीएचएफएल के खातों में ईपीएफ के पैसे को हस्तांतरित करने में किसी भूमिका से इनकार किया था. इस घोटाले में धनशोधन के संदेह के चलते मामले की अलग से जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी ईओडब्ल्यू से दस्तावेज मांगे थे.
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