Coronavirus (Covid-19) : उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा (Dinesh Sharma) ने कहा कि विद्यार्थियों और अभिभावकों की सुविधा के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं. वित्तविहीन शिक्षकों के वेतन भुगतान का आदेश जारी किया है. सभी विद्यालयों को कहा गया है कि 1 माह से अधिक का शुल्क एक साथ जमा ना कराएं. उन्होंने कहा कि 2020-21 सत्र में विद्यालयों को फीस ना बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. ऑनलाइन टीचिंग (Online Teaching) से कोर्स को पूरा करवाया जा रहा है. हाई स्कूल, इंटर परीक्षाओं की कॉपी का मूल्यांकन 5 मई से शुरू करेंगे. विश्व विद्यालय, महाविद्यालय की परीक्षाएं 3 मई के बाद 15 दिन के अंतराल में शुरू करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सत्र नियमित रहेगा, कोई दिक्कत नहीं आएगी. यही हमारा प्रयास है.
यह भी पढ़ें- पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम में बेहद कम पैसे से कर सकते हैं निवेश, मिलेगा मोटा मुनाफा
लगातार चलने वाला शिक्षा चैनल शुरू करने की मांग
वहीं दूसरी तरफ सुपर 30 के संस्थापक और प्रख्यात गणितज्ञ आनंद कुमार (Ananad Kumar) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से समाज के विभिन्न वर्गों से संबंधित छात्रों के लिए 24x7 शिक्षा चैनल - 'दूरदर्शन शिक्षा' (Doordarshan Shiksha) शुरू करने का आग्रह किया है, क्योंकि लॉकडाउन में सभी लोगों की पहुंच ऑनलाइन कक्षाओं तक नहीं हैं. अपने सफल और प्रसिद्ध सुपर 30 कार्यक्रम के लिए जाने जाने वाले कुमार ने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा कि डीडी का एक विशेष शिक्षा चैनल देश भर के छात्रों के लिए बहुत मददगार होगा. सुपर 30 आईआईटी-जेईई प्रवेश परीक्षा के लिए हर साल वंचित वर्गों के 30 छात्रों को शिक्षित करता है जिसकी सफलता की दर जबर्दस्त है.
यह भी पढ़ें- परीक्षा की अवधि कम करें, जुलाई से आनलाइन या आफलाइन परीक्षा आयोजित करें : यूजीसी
कई संस्थान ऑनलाइन माध्यम को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं
कुमार ने कहा, "भारत, बाकी दुनिया की तरह, कोविड-19 महामारी के कारण एक अभूतपूर्व स्वास्थ्य संकट (Coronavirus (Covid-19), Lockdown Part 2 Day 1, Lockdown 2.0 Day one, Corona Virus In India, Corona In India, Covid-19) के बीच फंसा है. जीवन को बचाने के लिए लॉकडाउन बहुत जरूरी है और इसने काम किया है, लेकिन इसने हमारे छात्रों की पढ़ाई लिखाई में भारी व्यवधान पैदा किया है." उन्होंने कहा, " हालांकि कई संस्थान ऑनलाइन माध्यम को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन छात्रों के एक बड़े वर्ग की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भारी भिन्नता को ध्यान में रखते हुए यह तुरंत संभव नहीं लगता है क्योंकि अच्छे-खासे छात्र किफायती सरकारी शिक्षा व्यवस्था के जरिए मुश्किल से अपनी पढ़ाई जारी रख पाते हैं.