नोएडा- यूं तो कहने के लिए नोएडा में सब कुछ है, बड़े-बड़े मॉल हैं, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स हैं, एडवेंचर पार्क है, F1 ट्रैक है इसके अलावा और भी बहुत कुछ है, लेकिन क्या आप एक बात जानते हैं कि गौतम बुद्ध नगर जिले में अभी तक सार्वजनिक परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं है. यूपी के शो विंडो कहे जाने वाले नोएडा में गठन के 40 साल बाद भी सार्वजनिक परिवहन की कोई सुविधा नहीं हो पाई है, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना उठाना पड़ रहा है. इसके चलते लोग जहां 20 रुपये किराया लगता है वहां दोगुना यानी 50 रुपये से भी ज्यादा किराया देने को मजबूर हैं.
गौतम बुद्ध नगर जिले को मुख्यतः तीन हिस्सों से जाना जाता है, जिसमें नोएडा, ग्रेटर नोएडा और जेवर है. 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में 16 लाख से भी ज्यादा जनसंख्या रहती है. वहीं, नोएडा में 6 लाख से ज्यादा आबादी रहती है, लेकिन आपको जान के आश्चर्य होगा कि इतनी बड़ी आबादी के बाद भी सार्वजनिक परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं है.
अपनी गाड़ियों या ऑटो पर निर्भर हैं लोग
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लोगों के मुताबिक, उनके लिए परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं है. इलाके के लोगों का कहना है कि हमें अगर ग्रेटर नोएडा वेस्ट में कहीं जाना है तो इसके लिए कैब का ऑटो का सहारा लेना पड़ता है. जो बहुत महंगा पड़ता है. कोरोना से पहले जिले भर में NMRC की बसें चलती थीं, जिसे कोरोना के बाद बंद कर दिया गया.
कौन-कौन से इलाके हैं प्रभावित
गौतम बुद्ध नगर में ऐसे कई सेक्टर और गांव हैं जो सार्वजनिक परिवहन से अछूते हैं, जिनमें प्रमुखतः ग्रेटर नोएडा वेस्ट के 20 से ज्यादा गांव, नोएडा के 15 से ज्यादा गांव, दादरी के 10 से ज्यादा गांव शामिल हैं. दादरी के दुजाना गांव के रहने वाले अभिषेक नागर बताते हैं कि GT रोड से दूर पड़ने वाले गांव के लोगों को या तो पैदल जाना पड़ता है या तो किसी से लिफ्ट मांगनी पड़ती है.
ऐसा ही हाल नोएडा के हाइवे के किनारे के गांवों का है. नंगली वाजिदपुर गांव के रहने वाले ज्ञानेंद्र चौहान बताते हैं कि नोएडा सेक्टर 37 से परीचौक तक जाने वाली बस उनके गांव से 5 किलोमीटर पहले रुकती है. जहां से उन्हें पैदल जाना पड़ता है.
Source : Abhijeet Sharma