झांसी के एक गांव से छुआछूत का मामला सामने आया है. यहां पर दलित लोगों के बाल नहीं काटने का आरोप नाइयों पर लगा है. इस कारण दलितों को बाल कटवाने के लिए 20 से 30 किलोमीटर का सफर तय कर के जाना पड़ता है. गांव में आज भी जाति प्रथा और छुआछूत चरम पर है. इसके चलते दलित जाति के लोगों को हजामत व बालों की कटिंग के लिए दूसरे इलाके की शरण लेनी पड़ती है.
गांव में आज भी छुआछूत का दौर जारी है
ये पूरा मामला झांसी के टहरौली तहसील के बिजना गांव का है. बिजना गांव के निवासियों ने उल्दन थाना पहुंचकर शिकायती पत्र दिया. उन्होंने बताया कि गांव में आज भी छुआछूत का दौर जारी है. इसके कारण नाई समाज के लोग उनके बाल नहीं कटते हैं. बाल कटवाने के लिए उन्हें गांव से कई किलोमीटर दूर आस पास के कस्बो में जाना पड़ता है. आजादी के कई सालों बाद भी दलित जाति के लोगों के खिलाफ छुआछूत की दीवार खड़ी है. दलित जाति के लोगों ने अधिकारियों से न्याय दिलाने की मांग की है, हालांकि मामले की जांच में पुलिस जुटी है. कई लोगों से पूछताछ जारी है.
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मंदिर में प्रवेश का अवसर नहीं मिलता है
इसी तरह एक मध्यप्रदेश के एक गांव में भी नाई दलितों के बाल नहीं काटते हैं. उन्हें मंदिर में प्रवेश का अवसर नहीं मिलता है. यहां अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के साथ अछूतों जैसा व्यवहार होता है. यह केस मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 30 किलोमीटर दूर बसे गांव कोडिया का है. गांव का एक वाल्मीकि परिवार उच्च जाति के लोगों के लिए अछूत माना जाता है. भोपाल जिले की हुजूर विधानसभा और फंदा ब्लॉक में कोडिया गांव मौजूद है. यहां पर जनसंख्या करीब ढाई हजार तक है. मगर यहां पर आजादी के 76 साल बाद भी दलितों के प्रति इस तरह का व्यवहार कायम है.
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Source : News Nation Bureau