कोरोना काल में ऐसे हालात बने हैं. हमेशा शिकायतों से घिरी रहने वाली खाकी लोगों के दिल में जगह बना रही है. कहीं अपात हालात में लोगों को सिलेंडर मुहैया करा रही है. तो कहीं संक्रमण के कारण दूर किए शवों का अंतिम संस्कार करवा रही है. यही नहीं कॉल आने पर जरूरी दवाएं और खाना पहुंचाने पर भी यूपी पुलिस पीछे नहीं है. कोरोनाकाल में शिकायत से घिरी रहने वाली खाकी अब दिल में जगह बना रही है. गोरखपुर, बिजनौर, नोएडा, मुरादाबाद, जौनपुर, लखनऊ, बदायूं, बागपत, सोनभद्र जैसे कई ऐसे जिले हैं जहां यूपी पुलिस बेसहारा लोगों का अंतिम संस्कार करवा रही है.
बागपत के बड़ौत इलाके में 94 वर्ष के किशन प्रकाश अग्रवाल अपने घर पर ही आइसोलेट हैं. ऐसे में उन्हें अचानक ऑक्सीजन की जरुरत पड़ी. उनके परिजन आक्सीजन गैस लेने सोनभद्र से सिंगरौली के लिए गाड़ी लेकर निकले लेकिन अचानक लोढ़ी स्थित कोविड अस्पताल के चिकित्सकों से उनका संपर्क टूट गया, जबकि उनके पास कुछ ही घंटे का ऑक्सीजन बैंक शेष था. सूचना मिलते ही जिलाधिकारी अभिषेक सिंह और पुलिस अधीक्षक अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने स्थिति के गंभीरता को समझते हुए प्रभारी निरीक्षक शक्तिनगर को वाहन और चालक को तलाशने के लिए निर्देशित किया. स्थानीय पुलिस ने रात में करीब पौने दो बजे न सिर्फ वाहन और चालक को ढूंढ़ निकाला बल्कि सिंगरौली स्थित आपूर्तिकर्ता से आक्सीजन सिलेंडर लोड करवा कर अस्पताल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
सिद्धार्थनगर के डुमरियांगज में चंद्र शेखर बीते कई दिनों से बीमार चल रहे थे. ऐसे में बीती 30 अप्रैल को उसकी हालत अचानक बिगड़ गई जिसके बाद उनकी मौत हो गई. कोरोना के डर से गांव का कोई भी व्यक्ति शव का दाह संस्कार और कंधा देने को तैयार नहीं था. ऐसे में सोशल मीडिया के माध्यम से जब इसकी सूचना मुख्यमंत्री कार्यालय को मिली तो तत्काल एसपी सिद्धार्थनगर मौके पर पहुंचे. पुलिस ने मौके पर पहुंच कर तत्काल शव का धार्मिक रीति से समस्त धार्मिक प्रक्रिया को पूरा कर शव को कंधा दिया और शव का अंतिम संस्कार कराया.
बदायूं में 28 अप्रैल को देर रात एक युवक ने कोतवाली प्रभारी निरीक्षण को फोन किया कि उसके पिता जी की तबीयत बहुत खराब है. अगर उन्हें रात में ही ऑक्सीजन नहीं मिली तो उनकी हालत ज्यादा बिगड़ सकती है. जिसके बाद तत्काल प्रभारी निरीक्षक कोतवाली ने रात में ही ऑक्सीजन का इंतजाम किया और ऑक्सीजन सिलेंडर उनके लड़के को रात में ही उपलब्ध कराया.
बिजनौर में कई दिनों से बीमार चल रही एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई. उनके बेटे विकास ने पड़ोसियों व रिश्तेदारों से अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए गुहार लगाई, लेकिन कोरोना के डर से कोई भी उसके सहयोग के लिए आगे नहीं आया. विकास ने जब इसकी सूचना बिजनौर पुलिस को दी तो थाना धामपुर के प्रभारी निरीक्षक अरुण त्यागी ने अपनी टीम के साथ मिलकर विकास की मां के शव को घर से शमशान घाट तक ले जाकर विधि विधान से अन्तिम संस्कार कराया.
बीती 28 अप्रैल को मुरादाबाद में इलाज के दौरान एक युवक की मौत हो जाती है. लेकिन उसे शव को कंधा देने के लिए कोई भी व्यक्ति आगे आने को तैयार नहीं हुआ. ऐसे में घटनास्थल पर मौजूद एक सिपाही ने आगे बढ़ कर अर्थी को कंधा देकर व्यक्ति का अंतिम संस्कार कराया.
नोएडा के सेक्टर 20 में 52 वर्ष के व्यक्ति की कोरोना से मौत हो गई. जिसके बाद उसका शव घंटों घर में ऐसा ही पड़ा रहा, आस पास रहने वालों ने भी शव को छूने से मना कर दिया. वहीं मृतक की बेटी और मां के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अंतिम संस्कार करा सके. इसकी सूचना जैसे ही सेक्टर 19 के कार्यवाहक चौकी प्रभारी को मिली तो उन्होंने मौके पर पहुंच कर शव को ना सिर्फ कंधा दिया बल्कि अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों की व्यवस्था कर बेटी से मुखाग्नि दिलवाई.
HIGHLIGHTS
- कोरोना काल में खाकी पेश कर रही मानवता की मिसाल
- शिकायत से घिरी रहने वाली खाकी अब दिल में बना रही जगह
- पुलिस करवा रही लोगों का अंतिम संस्कार