अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिये नींव बनाने के काम में आ रही दिक्कतों को दूर कर लिया गया है. मंदिर की नींव की डिजाइन तैयार करने वाली आठ सदस्यों की टीम ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है. 29 दिसंबर को दिल्ली में इस मसले को लेकर बैठक होगी. बैठक में तय किया जाएगा नींव में कॉन्क्रीट की पाइलिंग होगी या पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा. इसकी मजबूती के लिए विशेषज्ञों की आठ सदस्यीय टीम भी बनाई गई है, लेकिन कोई भी हजार साल तक सुरक्षित रहने वाले मंदिर की गारंटी देने को तैयार नहीं है.
देश भर के विशेषज्ञों ने राममंदिर के लिए हजार वर्ष की लिखित गारंटी देने में हाथ खड़े कर दिए हैं. मंदिर के लिए बनाई गई टेस्ट पाइलिंग पहले ही फेल हो चुकी है. टेस्ट पिलर पर लोड डालने के बाद जैसे ही भूकंप जैसे झटके दिए गए उनमें दरारें आ गईं और वे लचक गए. इसे देखते हुए ट्रस्ट ने नए सिरे से तकनीकी विशेषज्ञों के साथ मंथन शुरू कर दिया है. मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एलएंडटी और टाटा कंसल्टेंसी को सौंपी है.
दरअसल, आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) दिल्ली के पूर्व निदेशक वीएस राजू की अगुवाई में कमेटी ने अध्ययन किया है कि राममंदिर की नींव खुदाई में काफी नीचे तक सिर्फ रेत ही मिली थी. इस वजह से भारी पत्थरों को लगाकर हजार साल के लिये मंदिर का निर्माण करना मुश्किल है. ट्रस्ट ने पहले ही साफ कर दिया है कि मंदिर निर्माण में सरिया या लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
Source : News Nation Bureau