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UP के 18000 से ज्यादा शिक्षक STF के रडार पर, कुछ ने दिया इस्तीफा तो कुछ ने लिया VRS

UP STF राज्य में ऐसे ही गुरुघंटालों के पीछे 3 साल से पड़ी है और इसी कड़ी में 2 महीने पहले प्रिंसिपल साहब को UP STF ने गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है और लगातार ऐसे नटवरलालों के खिलाफ उसका अभियान जारी है. आपको बता दें कि कमियार गांव म

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Ravindra Singh
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बेसिक शिक्षा परिषद( Photo Credit : सोशल मीडिया )

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उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग पर एसटीएफ की नजरें जम गईं हैं. उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के पोर्टल मानव संपदा से 18 हजार से भी ज्यादा शिक्षकों और कर्मचारियों के डाटा मिसिंग बताए जा रहे हैं. इसके साथ ही इस बात की भी पूरी संभावना है कि मिसिंग डेटा वाले प्रोफाइल्स में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा किया गया है. इन मिसिंग डाटा वाले लोगों प्रोफाइल में बहुत सी अनियमितताएं होने की संभावना है, कई ऐसे फर्जी शिक्षक हैं जो किसी दूसरे टीचर के प्रमाणपत्र पर कई वर्षोंं से नौकरी कर रहे हैं. आपको हम ऐसे ही एक ऐसे ही गुरुघंटाल के बारे में बताते हैं जो कि बाराबंकी जिले के कमियार गांव में कई वर्षों से पहले सहायक अध्यापक और अब प्राइमरी स्कूल में ही प्रिंसिपल की जॉब कर रहे हैं और मौजूदा समय उनका वेतन लगभग 60 से 70 हज़ार रूपये प्रतिमाह है.

UP STF राज्य में ऐसे ही गुरुघंटालों के पीछे 3 साल से पड़ी है और इसी कड़ी में 2 महीने पहले प्रिंसिपल साहब को UP STF ने गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है और लगातार ऐसे नटवरलालों के खिलाफ उसका अभियान जारी है. आपको बता दें कि कमियार गांव मे प्रिंसिपल साहब सूरज कुमार उपाध्याय के प्रमाणपत्रों पर नौकरी कर रहे थे, जबकि उनका वास्तविक नाम सुभाष पांडे वल्द रामसूरत पांडे निवासी सन्तकबीरनगर है और जिन सूरज कुमार उपाध्याय के नाम पर नौकरी जारी थी, वो सूरज कुमार उपाध्याय वल्द मदन गोपाल उपाध्याय महराजगंज में अध्यापक हैं.

STF को पूछताछ में नटवरलाल सुभाष पांडे ने बताया था, की बेरोजगारी के दौर में 2011 में उसकी मुलाकात बाराबंकी में ही नियुक्त गिरिजेश त्रिपाठी से हुई थी, जिसने 2011 में ही एक लाख रुपये लेकर सूरज कुमार उपाध्याय के प्रमाणपत्र के जरिए उसकी नौकरी सहायक अध्यापक के पद पर लगवाई थी. 4 साल वो बगल के गांव में एक प्राइमरी स्कूल पर सहायक अध्यापक रहा और फिर 2015 में कमियार गांव के इस प्राइमरी स्कूल में ट्रांसफर करा कर आ गया और यहीं प्रिंसिपल बन गया, कमियार गांव बाराबंकी शहर से 60 km दूर घाघरा के कछार में स्थित है,जहां पहुंचना बेहद दुर्गम है.

अगर यहां की जमीन खेती लायक ना हो तो इस इलाके की तुलना बीहड़ से करना गलत ना होगा, इसी दुर्गम इलाके के इस टूटे फूटे प्राइमरी स्कूल में वो वर्षों से प्रिंसिपल बनकर हजारों की सैलरी ले रहा था. स्कूल में अभी पढ़ाई बन्द है, छात्र कहते हैं कि गुरु जी को पुलिस पकड़ ले गई. नन्हें बच्चों को भी पता है कि गुरु जी ने प्रमाणपत्र का फर्जीवाड़ा किया था. इसी प्राइमरी स्कूल में सूरज कुमार उपाध्याय उर्फ सुभाष पांडे के साथ शिक्षक की नौकरी कर रहे अमर बहादुर कहते हैं कि स्कूल के किसी स्टाफ़ को कभी सपने में भी ऐसा अंदेशा नहीं था कि प्रिंसिपल साहब नटवरलाल निकलेंगे.

अमर बहादुर कहते हैं कि कुछ महीने पहले सन्तकबीरनगर नगर में गुरु जी की बेटी की शादी थी, उन्होने मुझसे 50 हज़ार रुपये उधार मांगे थे, लेकिन स्कूल के किसी भी सदस्य को शादी में नहीं बुलाया. यहां वो साथ मे परिवार नहीं रखते थे, कहीं दूर घर ले रखा था वहीं से स्कूल आते जाते थे. तो ऐसे गुरुघंटालों की UP में लम्बी लिस्ट है, STF साल में 315 से ज्यादा गुरुघंटालों को जेल भेज चुकी है और सैकड़ों STF के रडार पर हैं. STF की कार्रवाई से डरे बहुत से लोग VRS ले चुके हैं, लेकिन STF VRS ले चुके लोगों की भी जांच कर रही है. बेसिक शिक्षा विभाग में अभी भी 18110 का डेटा मानव सम्पदा पोर्टल पर अपलोड नहीं किए गए हैं और डेटा अपलोड करने की विभाग बेसिक शिक्षा अधिकारियों को बार बार निर्देश और चेतावनी भी दे रहा है. 

आपको बता दें कि योगी सरकार ने पिछले साल की 17 दिसम्बर ऐसा करने की डेडलाइन भी दी थी, लेकिन उसके बाद भी मिसिंग टीचर का डेटा अपलोड ना होना विभाग के अंदरूनी भ्र्ष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है. STF का कहना है कि इन 18 हज़ार मिसिंग शिक्षकों का डेटा अपलोड होते ही नटवरलाल शिक्षकों की पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी, यही वजह है कि अभी हम इक्का दुक्का लोगों को तलाश कर उनके डॉक्यूमेंट चेक कर कार्रवाई कर पा रहे हैं.

Source : News Nation Bureau

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