प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी 80 के दशक में स्नातक में टॉप आने के लिए दिए जाने वाले स्वर्ण पदक को अब जाकर 33 साल बाद ग्रहण करेंगी. अगले सप्ताह विश्वविद्यालय के शतवर्षीय समारोह के दौरान 'अवध की रोशन चौकी' में प्रस्तुति देने के बाद उन्हें सम्मानित किया जाएगा. अवस्थी कार्यक्रम में कवि, संपादक और संगीत पारखी यतींद्र मिश्र के साथ शामिल होंगी.
मालिनी अवस्थी ने 1987 में बीए (ऑनर्स) कोर्स के पहले बैच में टॉप किया था, लेकिन उन्हें पदक नहीं मिल सका था, क्योंकि उस साल दीक्षांत समारोह नहीं हुआ था. वह इसे अब 33 साल बाद प्राप्त करेंगी। मालिनी अवस्थी उन लोगों में शामिल हैं, जो 'लखनऊ यूनिवर्सिटी स्टडी सर्कल' नामक सांस्कृतिक समूह के सदस्य थे और उन्होंने संगीत के क्षेत्र में अपना नाम बनाया है.
इस बारे में मालिनी अवस्थी ने बताया कि उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया था, लेकिन उसे छोड़ दिया, क्योंकि संस्कृत, इतिहास और राजनीति विज्ञान का उनका पसंदीदा विषय संयोजन लखनऊ विश्वविद्यालय में पेश किया जा रहा था. इसने उन्हें अपने गीतों को प्रस्तुत करने के लिए एक सुंदर और शानदार मंच दिया.
उन्होंने कहा, "यह एक पुरानी धारणा है कि जो छात्र संगीत और नृत्य जैसी सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में अच्छे हैं, वे पढ़ाई में अच्छे नहीं होते हैं. मैंने अपने बैच में टॉप किया था. दुर्भाग्य से, मुझे अपना स्वर्ण पदक नहीं मिला क्योंकि उस वर्ष कोई दीक्षांत समारोह नहीं हुआ था."
Source : News Nation Bureau