केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई, लेकिन एक दौर को छोड़ कर किसी और दौर की बातचीत सफल नहीं हुई. इस बीच नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर किसानों ने कृषि बिल की शव यात्रा निकाली. किसानों का कहना है. सरकार का रुख ऐसा नहीं लग रहा कि वह जल्दी इस मसले को हल करना चाहती है इसलिए हम लोग हर रोज सरकार के विरोध में कुछ ना कुछ करते रहेंगे.
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चिल्ला बॉर्डर पर अब किसानों की संख्या बढ़ती जा रह है. गाज़ीपुर बॉर्डर से सिख किसान चिल्ला बॉर्डर पहुचेंगे. लगातार तीन दिन से हो रही बारिश ने चिल्ला बॉर्डर पर बैठे किसानों की व्यवस्थाओं को चौपट कर दिया था किसानों का टेंट पूरी तरह खराब हो चुका था. किसान या तो अपनी गाड़ी में सो रहे थे या फिर छोटे-छोटे टेंपरेरी टेंट में, लेकिन मंगलवार को चिल्ला बॉर्डर पर गाजीपुर बॉर्डर से सिखों का एक जत्था पहुंचा. यह जत्था यहां पर नया टेंट तैयार कर रहा है सिखों का कहना है कि आने वाले 2 दिन में यहां पर गाजीपुर से भी किसान पहुंचेंगे, ताकि यहां पर संख्या बल को बढ़ाया जा सके.
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बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन 41वें दिन में प्रवेश कर गया है. दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान डटे हुए हैं. किसान इन कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर अड़े हैं. किसानों की जिद की वजह से 7वें दौर की बातचीत में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. सरकार भी इन कानूनों को वापस नहीं करने पर अड़िग है. सोमवार को हुई सातवें राउंड की बैठक में यूं तो दो मुद्दों पर बात होनी थी, लेकिन चर्चा तीनों कृषि कानूनों के मुद्दे पर ही सिमटकर रह गई. हालांकि 8 जनवरी को फिर से सरकार और किसान के बीच वार्ता होगी.
Source : News Nation Bureau