कृषि कानून लागू हुए तो किसान खेत में ही गुलाम बन जाएगा : सपा

Farmer Protest: केंद्रीय कृषि कानून के विरोध में किसानों का विरोध जारी है. उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि तीनों कृषि कानून लागू हो गए इस देश का किसान अपने ही खेत में गुलाम बनकर रह जाएगा.

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Deepak Pandey
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Ramgovind Chaudhary

उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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Farmer Protest: केंद्रीय कृषि कानून के विरोध में किसानों का विरोध जारी है. उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि तीनों कृषि कानून लागू हो गए इस देश का किसान अपने ही खेत में गुलाम बनकर रह जाएगा. किसान भाइयों, इस गुलामी को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करना है. बलिया जिले के बांसडीह विधानसभा क्षेत्र के महराजपुर में शुक्रवार को हुई किसान पंचायत में रामगोविंद चौधरी ने कहा कि इन तीनों कृषि कानूनों का एक लक्ष्य है, देश की खेतीबारी और किसानी को अंबानी और अडानी के हाथों सौंप देना. इसे रोकने के लिए दो सौ किसान शहीद हो चुके हैं, लाखों किसान धरना दे रहे हैं, लेकिन सरकार के कान पर जू नहीं रेंग रहा है.

उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने आगे कहा कि इसे लेकर अंबानी-अडानी और सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. इसकी वजह से सरकार के पहरेदारों के होश उड़े हुए हैं, इसीलिए ये लोग अनाप शनाप बक रहे हैं और किसानों को भी विध्वंसक कहने से बाज नहीं आ रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि किसान केवल अपना नहीं, सबका पालक है. इस सच से सभी वाकिफ हैं. इसके बाद भी कोई उसे विध्वंसक कहे तो उसे मानसिक रूप से बीमार कहना ही उचित है.

उन्होंने कहा कि किसानी इस देश की रीढ़ है. सरकार में बैठे लोग भी जानते हैं कि किसानी को कमजोर करने का मतलब देश को कमजोर करना है. फिर भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि केवल कमजोर करते तो भी किसी तरह काम चल जाता, लेकिन यह लोग तो सबकुछ अंबानी अडानी के हाथ सौंप देना चाहते हैं. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी सरकार की इस साजिश को किसी कीमत पर सफल नहीं होने देगी.

आपको बता दें कि बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की पंचायत बढ़ती जा रही है. किसान नेता टिकैत ने आगे कहा कि पंचायती प्रणाली को हम मानने वाले लोग हैं. हम फैसलों के बीच में न पंच बदलते हैं और न मंच बदलते हैं. हमारा दफ्तर सिंघु बार्डर पर ही रहेगा और हमारे लोग भी वहीं रहेंगे. जो केंद्र सरकार की लाइन थी वह बातचीत करने की उसी लाइन पर बातचीत कर लें. कृषि कानून रद्द होने के बाद ही घर वापसी होगी. केंद्र चाहे तो आज 10 दिनों में बात कर सकता है या अगले साल, हम तैयार हैं.

Source : News Nation Bureau

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